6 बड़ी सीमेंट कंपनियों ने कीमतें अधिक रखने और बाजार का बेजा फायदा उठाने के लिए आपस में कीं सांठगांठ...
► सीमेंट फर्मों पर सीसीआई की टेढ़ी नजर
► पूर्वोत्तर के बाजार में 6 प्रमुख सीमेंट कंपनियों के साथ सांठगांठ कर कीमतें अधिक रखने का आरोप
► सीसीआई अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ा सकता है जांच का दायरा
► इससे पहले भी सीसीआई सीमेंट फर्मों पर लगा चुका है भारी जुर्माना
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) एक बार फिर सीमेंट क्षेत्र में सांठगांठ खत्म करने पर काम कर रहा है। प्रारंभिक जांच में इस बार पूर्वोत्तर क्षेत्र में 6 अग्रणी सीमेंट कंपनियां सांठगांठ में लिप्त पाई गईं। मामले के जानकार सूत्रों ने कहा, 'ताजा जांच में पाया गया कि 6 बड़ी सीमेंट विनिर्माताओं ने बाजार का बेजा फायदा उठाने के लिए आपस में सांठगांठ की थी।' अभी इस मामले की प्रारंभिक जांच की गई है और आगे अन्य सीमेंट कंपनियां भी सीसीआई की जांच के जद में आ सकती हैं। सूत्रों ने बताया कि सीसीआई जांच से पता चलता है कि सीमेंट विनिर्माताओं ने आपस में सांठगांठ कर कीमतें काफी ज्यादा रखीं, जिससे आम जनता को नुकसान हुआ। अन्य क्षेत्रों में भी सीमेंट कंपनियों की सांठगांठ की जांच की जा सकती है।
ताजा मामले से पता चलता है कि प्रतिस्पर्धा आयोग उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे उपभोक्ताओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है। वाहन क्षेत्र में कल-पुर्जो को लेकर सांठगांठ में लिप्त फर्मों पर जुर्माना लगाने के बाद सीसीआई ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर ध्यान दिया था। सीमेंट उद्योग एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर सीसीआई की हमेशा नजरें बनी रहती हैं।
इससे पहले सीसीआई ने सीमेंट कंपनियों और सीमेंट विनिर्माताओं का संगठन सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएमए) पर भारी जुर्माना लगाया था। सीसीआई ने 2012 में सीमेंट फर्मों पर 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया था। वर्ष 2016 में 11 सीमेंट कंपनियों और सीमेंट संगठन पर 6,700 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। 2016 में समान मामले के लिए 2012 के आदेश के अनुरूप कंपनियों के शुद्ध मुनाफे का 0.5 फीसदी जुर्माना लगाया गया था।
इस आदेश में सीमेंट विनिर्माताओं और उनके संगठन पर सीमेंट के दाम तय करने के लिए समान पोर्टल का उपयोग करने का दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2017 में हरियाणा सरकार की ओर से जारी सीमेंट निविदा में सांठगांठ का पता चला था और सीसीआई ने अंबुजा, अल्ट्राटेक जैसी सीमेंट कंपनियों पर 206 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इसकी जांच 2014 में शुरू हुई थी और आदेश 2017 में आया। आदेश में कहा गया कि कंपनियों के अधिकारियों द्वारा एसएमएस के आदान-प्रदान और कॉल के जरिये प्रतिस्पर्धा-रोधी आचरण किया गया। राज्य सरकार के आपूर्ति एवं निष्पादन निदेशक द्वारा की गई शिकायत के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया था। अभी यह मामला अपीलीय ट्रिब्यूनल स्तर पर लंबित है।
(साभार: बिज़नेस स्टैण्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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