Big News: देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर भारी फंसा कर्ज
देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को फंसे हुए कर्ज के लिए व्यापक प्रावधान करने की वजह से चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 24.16 अरब रुपये का भारी घाटा हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंक को कुछ कॉरपोरेट ऋणों को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वर्गीकृत करने को कहे जाने के बाद एसबीआई को ऐसा करना पड़ा है। पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में एकल आधार पर एसबीआई को 26.10 अरब रुपये का शुद्घ मुनाफा हुआ था। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने दिसंबर तिमाही के नतीजे को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि मुनाफे पर बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से कम ट्रेडिंग आय तथा कुछ निवेश के मूल्यों में आई गिरावट का भी असर पड़ा है। वित्त वर्ष 2017 के सालाना वित्तीय जांच को पूरा करने के बाद रिजर्व बैंक ने एसबीआई से कहा था कि वह मार्च 2017 को खत्म हुए वित्त वर्ष में कुछ फंसे ऋणों को एनपीए के तौर पर वर्गीकृत करे। एसबीआई उसे फंसे कर्ज के तौर पर मान रहा था।
आरबीआई और एसबीआई द्वारा 230 अरब रुपये के एनपीए का आकलन किया गया और इसके लिए 60 अरब रुपये का प्रावधान का बोझ बैंक पर बढ़ा। इसकी वजह से बैंक का सकल एनपीए दिसंबर 2017 के अंत तक 2 लाख करोड़ रुपये (10.35 फीसदी) तक पहुंच गया, जबकि शुद्घ एनपीए 1.02 लाख करोड़ रुपये (5.61 फीसदी) तक पहुंच गया। तीसरी तिमाही में इसमें 258.36 अरब रुपये की वृद्घि हुई है। रजनीश कुमार ने दावा किया, 'हम एनपीए चक्र खत्म करने के करीब पहुंच गए हैं।' दिसंबर 2017 के अंत में प्रावधान कवरेज अनुपात 65.92 फीसदी था। प्रावधान के तहत फंसे कर्ज के लिए रकम अलग रखी जाती है।
हालांकि समीक्षाधीन तिमाही में एसबीआई की शुद्घ ब्याज आय 5.17 फीसदी सुधरकर 186.88 अरब रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में 177.69 अरब रुपये थी। शुद्घ ब्याज मार्जिन दिसंबर 2016 के 2.71 फीसदी से घटकर दिसंबर 2017 में 2.45 फीसदी रहा। बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से भी तीसरी तिमाही में ट्रेजरी परिचालन पर असर पड़ा है। इसकी वजह से गैर-ब्याज आय 29.75 फीसदी घटकर 80.84 अरब रुपये रही, जो पिछले साल की समान तिमाही में 115.07 अरब रुपये थी। निवेश की बिक्री पर होने वाले मुनाफे को निकाल दें, तो गैर-ब्याज आय 6.82 फीसदी बढ़ी है। दिसंबर 2017 तिमाही में शुल्क आय 5.71 फीसदी बढ़कर 49.79 अरब रुपये रही, जो पिछले साल की समान तिमाही में 47.10 अरब रुपये रही थी। रजनीश कुमार ने कहा कि 2018-19 में उधारी मांग बेहतर रहने की उम्मीद है। बैंक ने इसमें 10.3 फीसदी वृद्घि का लक्ष्य रखा है।
(साभार: B.S. हिंदी)
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
swatantrabharatnews.com