घिस गयी लकीरें, कैसे बनेगा आधार
जिले भर में बैकों के निर्देश के बाद आई चैका देने वाली परेशानी.....
अंबेडकरनगर: कहते है किस्तम हाथों की लकीरों में होती है लेकिन जब हाथों की लकीरें ही नहीं रहे तो इसे क्या कहेंगे। कुछ ऐसा ही चैका देने वाला तथ्य जिले में सामने आया है। क्षेत्र में मजदूरी कर रहें हजारों की तादात में काम कर रहे ऐसे मजदूर मिले है जिनके हाथों की लकीरें घिस गयी है। इन मजदूरों के अब फिंगर प्रिन्ट नहीं आने से आधार कार्ड नहीं बन पा रहे है। आधार कार्ड बना रही कम्पनियों के सूत्रों ने बताया कि पूरे जिले में 10 हजार से अधिक मजदूर है जिनकी फिंगर प्रिन्ट नहीं आई ऐसे में इन मजदूरों के आधार कार्ड बनाने में परेशानी आयेगी। इधर आधार नहीं बनने पर मजदूर अब दिखाई पड रहे है। जब बैंक बिना आधार के खाते में लेन देन बंद कर दिया।
निशान नहीं मिले तो लौटा दिया
हरीपुर गांव में रह रही 60 वर्षीय सुमन देवी ने बताया कि वो आधार कार्ड बनवाने गयी थी लेकिन निशान नहीं मिलने से उन्हें लौटा दिया। इसी प्रकार चन्दा देवी मोहनलाल ने हाथों की लकीरें घिसने से आधार नहीं बनने की बात कही है यह मजदूर मनरेगा में काम करते है।
इस लिए आधार जरूरी
सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ देने के लिए अब आधार के नम्बर अनिवार्य कर दिये गये है। सरकार की पेंशन योजना का लाभ लेना हो या गैस कनेक्शन के लिए आवेदन करना हो सभी जगह आधार नम्बर की मांग की जा रही है। इससे अन्य प्रदेशों से मजदूरी के लिए आये लोगों के लिए पहचान का प्रमुख इस्तावेज भी माना जा रहा है।
इनका कहना है
अधिकारियों का कहना है कि बार बार मजदूरों की हस्तरेखाएं लेने की कोशिश की गयी लेकिन कम्प्यूटर पर रेखाएं न दिखने की वजह से उनका आधार कार्ड नहीं बन सकता। अब इसें मजदूरों की किस्मत का खेल कहें या मजबूरी क्यों कि दिन रात मेहनत कर जो हाथ झोपडी से लेकर महल तक का निर्माण करते है आज उन्हें ही उनके हक से महरूम रखा जा रहा है। आधार कार्ड बनाने वाले कर्मचारी कहते है कि जब इन मजदूरों के हाथ की अंगुलियों के निशान लेने के लिए इनके हाथों को कम्प्यूटर पर रखा जाता है तो कोई रेखा नजर नहीं आती है। मजदूर दिवाकर का कहना है कि इसमें हमारा तो कोई कसूर नहीं है। हम तो अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेंहनत मजदूरी करते है। देश भर में चल रहे निर्माण कार्यो में मजदूरों की अहम भूमिका है। अगर हम अपने हाथ की रेखाओं को देखेंगे तो हमें कोई मजदूरी पर नहीं रखेगा।
(घनश्याम भारतीय)
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