Breaking News: 03:10 P.M. - दुनिया भर के बाजार में हाहाकार, डाओ जोंस 1175, निक्केई 1350 अंक टूटा.
नई दिल्ली. अमेरिका सहित दुनिया में महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ने से दुनिया भर के शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ है। अमेरिका, यूरोप समेत एशियाई बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है।
अमेरिकी बाजारों में 7 साल की सबसे बड़ी गिरावट
- सोमवार को अमेरिकी बाजारों में 7 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट ने बीते एक साल की बढ़त गंवा दी है। महंगे बॉन्ड यील्ड ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। बिकवाली के दबाव में अमेरिकी बाजारों का एसएंडपी 500 इंडेक्स और डाओ जोंस इंडस्ट्रीयल इंडेक्स 4 फीसदी से ज्यादा टूट गए हैं।
- डाओ जोंस इंडिस्ट्रयल एवरेज कारोबार में 1,600 अंकों तक टूट गया था और यह इसकी एकदिनी सबसे बड़ी गिरावट रही। यह अगस्त 2011 के बाद सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट रही। अमेरिकी बाजार अपने हाई से 7 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। डाओ जोंस में 800 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन इसके कुछ ही मिनटों बाद यह 900 अंक, फिर 1,000 और उसके बाद 1,500 अंकों तक टूट गया। डाओ जोंस अपने निचले 1,597 अंकों तक लुढ़क गया।
- एसएंडपी 500 इंडेक्स 113 अंक यानी 4.10 फीसदी लुढ़ककर 2,649 अंक पर बंद हुआ, जबकि नैस्डैक कम्पोजिट 273 अंक यानी 3.78 फीसदी टूटकर 6,968 अंक पर बंद हुआ।
- इस दौरान व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का ध्यान लॉन्ग टर्म आर्थिक सुधारों पर केंद्रित है। बयान में इकोनॉमिक ग्रोथ रेट को मजबूत करने, बेरोजगारी कम करने और कामगारों का वेतन वेतन बढ़ाने की बात की गई।
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जापान का निक्केई 1350 अंक गिरा
- अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का असर दुनियाभर में जारी है। मंगलवार को जापान का बाजार निक्केई 1360 अंक यानी 5.27 फीसदी की गिरावट के साथ 21,324 अंक पर कारोबार कर रहा है। हैंग सेंग 1385 अंक गिरकर 30,861 अंक पर कारोबार कर रहा है। वहीं, एसजीएक्स निफ्टी 370 अंक लुढ़ककर 10,326 अंक पर कारोबार कर रहा है।
यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट
- सोमवार को यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली। इंग्लैंड का एपटीएसई 100 108 अंक गिरकर 7335 अंक पर बंद हुआ। फ्रांस का सीएसी 40 79 अंक गिरकर 5286 अंक पर और जर्मनी का डैक्स 98 अंक टूटकर 12,687 अंक पर बंद हुआ।
बाजार में गिरावट की वजह
अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड यील्ड 2.85 फीसदी पर पहुंच गई है। बॉन्ड यील्ड बढ़ना ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संकेत होता है। वहीं पिछले महीने जॉब डाटा भी बेहतर आया। इससे अब ब्याज दरों में बढ़ोतरी की चिंता बढ़ गई है।
(साभार: भाष्कर)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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