लीबिया में माइग्रेंट्स को ले जा रही नाव डूबी, 90 के मारे जाने की आशंका- इनमें ज्यादातर पाकिस्तानी
> 10 बॉडी बरामद की गई हैं। इनमें से आठ पाकिस्तानी जबकि दो लीबियाई नागरिक हैं।
. भूमध्य सागर के रास्ते यूरोप में गैरकानूनी तरीके से दाखिल होने की कोशिश करने वाले ज्यादातर लोग लीबिया या पाकिस्तान के होते हैं। - (सिम्बॉलिक)
त्रिपोली.लीबिया के समुद्री इलाके में शुक्रवार को माइग्रेंट्स को ले जा रही एक नाव डूब गई। घटना में 90 लोगों के मारे जाने की आशंका है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान हैं। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन की स्पोक्सपर्सन ओलिविया हेडसन ने बताया कि 10 बॉडी बरामद की गई हैं। इनमें से आठ पाकिस्तानी जबकि दो लीबियाई नागरिक हैं। ये लोग गैरकानूनी तरीके से लीबिया के रास्ते इटली या यूरोप जाना चाहते थे।
सही आंकड़े की जानकारी फिलहाल नहीं
- हेडसन के मुताबिक, ये नाव लीबिया के जुबारा शहर के समुद्री किनारे से कुछ दूर डूबी। 10 बॉडी बरामद की गई हैं। जानकारी के मुताबिक, जो बॉडी मिली हैं उनमें से 8 पाकिस्तानियों जबकि दो लीबियाई नागरिकों की हैं।
- हेडसन ने कहा कि बोट का बैलेंस बिगड़ने की वजह से ये हादसा हुआ। उन्होंने कहा कि भूमध्य सागर के रास्ते यूरोप में गैरकानूनी तरीके से दाखिल होने की कोशिश करने वाले ज्यादातर लोग लीबिया या पाकिस्तान के होते हैं।
- न्यूज एजेंसी ने बचाए गए लोगों के हवाले से कहा कि डूबने वाली नाव पर ज्यादातर पाकिस्तान नागरिक थे। ये नॉर्थ अफ्रीका और लीबिया के रास्ते इटली और यूरोपीय देशों में घुसना चाहते थे।
- हेडसन के मुताबिक- मरने वालों की संख्या फिलहाल 90 बताई गई है लेकिन हम सही आंकड़ा पता करने की कोशिश कर रहे हैं।
- लीबिया के एक अफसर ने बताया कि दो लीबियाई और एक पाकिस्तान के नागरिक को रेस्क्यू किया गया है। जुबारा शहर से ट्यूनीशिया की बॉर्डर लगती है।
माइग्रेंट्स के लिए लीबिया का रास्ता खास
- लीबिया और खासतौर पर यहां का जुबारा शहर उन माइग्रेंट्स के लिए प्राइम लोकेशन और रूट माना जाता है जो गैरकानूनी तरीके से समुद्र के रास्ते यूरोपीय देशों में जाना चाहते हैं। - हालांकि, पिछले साल जुलाई के बाद लीबिया सरकार ने माइग्रेंट्स को लेकर सख्ती दिखाई। उस पर इटली और यूरोपीय यूनियन का दबाव था।
- एक आंकड़े के मुताबिक, पिछले 4 साल में करीब 6 लाख माइग्रेंट्स लीबिया के रास्ते इटली और यूरोप में दाखिल हुए हैं।
(साभार: भाष्कर)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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