Breaking News- गणतंत्र दिवस और सुलगते प्रश्न--????__ रघु ठाकुर
आज 69वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर जहां सरकार इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया के माधयम से विकाश और 1950 से अब तक क्या-क्या बदलाव हुए बताने में लगी हैं वहीँ देश के महान समाजवादी चिंतक व विचारक तथा लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रिय संरक्षक - रघु ठाकुर ने कहा कि,आज गणतंत्र दिवस का जश्न तो मन गया परन्तु गणतत्र दिवस कुछ सुलगते प्रश्न भी छोड़ गए. उन्ही के शब्दों में पेश है आज के सुलगते प्रश्न ????
> देश की राजधानी मैं मन गया गणतंत्रदिवस का जश्न।संविधान की याद--और लागू करने का जश्न। पर जाते जाते छोड़ गया -कुछ सुलगते प्रश्न ?????
>बोट क्लब पर टेंट व मिसाइलों के दिखाने की आजादी है--विदेशी मेहमानों व देशी गणमान्यों के समक्ष--शक्ति प्रदर्शन की आजादी है।गणतन्त्र दिवस के जश्न के नाम पर-दुकानों और सड़कों को बन्द करने की मुनादी है।
>पर पास में जंतरमंतर पर-गरीबों को रोने पर भी मनाही है।
बड़े लोगों के कान में ;बंगलों और संसद में बैठे हुक्मरानों के ज्ञान में--किसान की आत्महत्या की चर्चा जुर्म है।।
इंकलाब का नारा लगाना जुर्म है।जिन्दाबाद बोलने वाले चाटुकारों को पूरी आजादी है;पर अन्याय अत्याचार व विषमता के खिलाफ मुर्दाबाद पर मनाही है।
रामलीला मैदान पर रासलीला कर सकते हो।
पर धरना प्रदर्शन पर मनाही है।गर शांति से रोना भी चाहो तो---रोने के पचास हजार देना होंगे।गर अध्यापक सर मुड़ाना चाहे तो डेढ़ लाख अदा करना होंगे।अब गांधी का सत्याग्रह, लोहिया की सिविल नाफरमानी, सब पर रोक है,अब चलेगी केवल सरकार की मनमानी।सविंधान को लपेटकर रख दो ,ऊँचे से ताला बंद अलमारी में।आजादी के तरानों को क़ैद कर दो, वीडियो ऑडियो सीडीओर सिनेमाओं मे।बस अब देश को जय हो बोलने की आजादी है।यह लोकतंत्र का नया अवतार है।
पर सावधान, हां केवल हां कहने की ही आजादी है।ना कहना गुनाह है। यह नये राजाओं जहाँपनाहों का राज है। मन गया जनतंत्र का जश्न--और छोड गया ये सुलगते प्रश्न।
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