‘करोड़ों की डील’ से ठीक पहले यह क्या कर दिया पुजारा!
पुजारा ने जोहानसबर्ग टेस्ट की पहली पारी में खेली 50 रन की पारी, 179 गेंद की पारी में पहला रन 54वीं गेंद पर बनाया था
चार साल हो गए. वो 2014 था, जब चेतेश्वर पुजारा ने आईपीएल खेला था. उसके बाद से उनके हिस्से इंतजार ही आया है. पिछली बार उन्हें किसी टीम ने नहीं चुना था. भले ही उनका बेस प्राइज महज 30 लाख रुपए था, इसके बावजूद उन्हें पिछले साल किसी टीम ने अपने साथ नहीं लिया था. इस बार का ऑक्शन बस कुछ घंटे दूर है. इस बार उनका बेस प्राइज 75 लाख रुपए है. इससे पहले कि कोई टीम पुजारा पर अपना मन बनाती, या पिछले साल के मुताबिक मन बदलती, उन्होंने जोहानसबर्ग में जो किया है, वो लाखों या करोड़ों की चपत दे सकता है.
जरा सोचिए, ऐसे किसी भी खिलाड़ी को कोई फ्रेंचाइजी क्यों टी 20 टीम में लेने का सोचेगी, जिसने 54वीं गेंद पर पहला रन लिया हो. 54वीं गेंद यानी नौ ओवर में एक रन. जिस वक्त जोहानसबर्ग में पुजारा खेलने आए, उस समय भारत का स्कोर एक विकेट पर सात रन था. जल्दी ही दो विकेट पर 13 रन हो गया. पिच ऐसी थी, जिस पर खेलना आसान नहीं था. बल्कि यूं कहें कि लगभग नामुमकिन लग रहा था. वहां से पुजारा ने एक पारी खेली. अर्ध शतक जमाया. इस पारी की अहमियत को कुछ यूं समझा जा सकता है कि अगर विराट, पुजारा, भुवनेश्वर और अतिरिक्त रनों को हटा दें, तो बाकी रन बचते हैं 27, जो आठ बल्लेबाजों ने मिलकर बनाए. पुजारा ने 50 रन की पारी में 179 गेंद यानी करीब 30 ओवर खेले.
विराट-पुजारा की मेहनत को बाकी बल्लेबाजों ने किया बर्बाद
पुजारा ने पहला रन भले ही 54वीं गेंद पर बनाया. उस पर विराट कोहली ने उनसे मजाक भी किया. बल्ला उठाने को कहा. दर्शकों ने जबरदस्त तालियां बजाईं. पुजारा ने बल्ला तो नहीं उठाया, लेकिन ड्रेसिंग रूम की तरफ इशारा किया. इससे समझ आता है कि टीम मैनेजमेंट ने तय किया था कि रन बनें या नहीं, लेकिन पुजारा को टिके रहना है. एक छोर संभाले रखना है. वो उन्होंने पूरी तरह किया. नई गेंद को पुराना करने का काम किया, ताकि बल्लेबाजी कुछ आसान हो जाए. विराट के साथ उन्होंने 84 रन जोड़े.
जब विराट आउट हुए, तो 43वां ओवर चल रहा था. यानी गेंद ठीकठाक पुरानी हो गई थी. इसक बाद अगर पूरी टीम कुछ नहीं कर पाई, तो यह पुजारा का कसूर नहीं है. लेकिन असर जरूर पड़ने की आशंका है. आईपीएल या टी 20 को लेकर उनकी जिस तरह की इमेज है, इस पारी से वो और खराब होगी. वैसे पुजारा 30 आईपीएल मैच खेल चुके हैं. 99 से ज्यादा का स्ट्राइक रेट है. हालांकि टी 20 के लिहाज से थोड़ा कमजोर दिखता है. लेकिन उतना कमजोर भी नहीं, जैसी धारणा बन गई है.
इस पारी की अहमियत को समझने की कोशिश कीजिए
यह सही है कि आईपीएल पर असर पड़ेगा. यह भी सही है कि पुजारा को लेकर जो लोगों में सोच है, वो और मजबूत होगी. इस देश में भले ही यह माना जाता हो कि हर कोई क्रिकेट जानता है. लेकिन इस पारी की अहमियत को समझना उतना आसान भी नहीं है.
याद कीजिए रवि शास्त्री का दौर. अपने करियर के अंतिम दौर में शास्त्री पारी की शुरुआत करने लगे थे. वो एक छोर पर अड़ने का काम करते थे. उन्हें हूट किया जाता था. लेकिन उन्हें यह रोल सौंपा गया था. वो टीम में अपने रोल के हिसाब से बैटिंग करते थे. अलग बात है कि काफी ओवर्स बरबाद करने के बाद मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज उसका फायदा नहीं उठा पाते थे. इसलिए उन पारियों का अहमियत नहीं दी गई.
आकाश चोपड़ा ने ऑस्ट्रेलियाई दौरे में किया था ऐसा काम
इसके बाद एक और दौरा याद कीजिए. भारतीय टीम 2003-04 में ऑस्ट्रेलिया गई थी. वहां आकाश चोपड़ा और वीरेंद्र सहवाग पारी की शुरुआत करने आते थे. भारत ने ड्रॉ के साथ शुरुआत की थी, जो बड़ी कामयाबी माना गया था. ब्रिस्बेन टेस्ट की पहली पारी में चोपड़ा ने 135 गेंद में 36 रन बनाए थे. अगले टेस्ट की पहली पारी में फिर उन्होंने सहवाग के साथ अर्ध शतकीय साझेदारी की. उस सीरीज में आकाश चोपड़ा ने महज 186 रन बनाए. औसत 23 से कुछ ज्यादा. आप सिर्फ आंकड़े देखेंगे, तो किसी भी तरह प्रभावित नहीं होंगे. लेकिन उन्होंने लगभग हर पारी में सहवाग का साथ दिया. हर पारी में टॉप ऑर्डर को नई गेंद से बचाने का काम किया. उस वजह से वो सीरीज ऑस्ट्रेलिया को उनकी धरती पर असलियत में चुनौती देने वाली साबित हुई, वैसा ही काम चेतेश्वर पुजारा ने किया है. पिछले कुछ समय में उनके विदेशी धरती पर रिकॉर्ड को लेकर बहुत बात हुई है. आंकड़े यकीनन उनके पक्ष में नहीं हैं. यहां तक कि संजय मांजरेकर ने टेस्ट शुरू होने से पहले उन्हें ड्रॉप किए जाने की वकालत की थी. करियर में वो बार-बार रन आउट हुए हैं. ये भी उनके पक्ष में नहीं जाता. अब उन्होंने अर्ध शतक जमाया है. लेकिन बर्थडे से सिर्फ एक दिन पहले बनाया अर्ध शतक भी उस बाजार के लिहाज से उनके पक्ष में नहीं जाता, तो 27 और 28 जनवरी को सजने वाला है. आईपीएल का वो बाजार, जहां टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से इस बेशकीमती पारी की कोई कीमत नहीं होगी. ...और जोहानसबर्ग में भी अगर भारत हार गया, तो कोई नहीं याद रखेगा कि इस पारी की क्या अहमियत होगी. तब शायद यह बात हो कि अपनी 179 गेंदों में वो 50 की जगह 100 रन बना लेते, तो मैच में हालात अलग होते.
(साभार:-फर्स्ट पोस्ट)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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