Climate कहानी: G20 समिट में भारत की गूंज. जलवायु फाइनेंस से लेकर क्लीन एनर्जी तक, ग्लोबल साउथ की आवाज़ हुई तेज़
लखनऊ: आज "Climate कहानी" की विशेष प्रस्तुति में प्रस्तुत है, "G20 समिट में भारत की गूंज. जलवायु फाइनेंस से लेकर क्लीन एनर्जी तक, ग्लोबल साउथ की आवाज़ हुई तेज़"!
"G20 समिट में भारत की गूंज. जलवायु फाइनेंस से लेकर क्लीन एनर्जी तक, ग्लोबल साउथ की आवाज़ हुई तेज़":
साउथ अफ्रीका में खत्म हुआ G20 लीडर्स समिट इस बार कई मायनों में अहम रहा. पहले ही दिन बिना किसी आपत्ति के लीडर्स डिक्लेरेशन अपनाया गया, वो भी तब जब अमेरिका मौजूद नहीं था. इसके बावजूद अफ्रीका और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को जिस मजबूती से जगह मिली है, उसे कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
दुनिया जिस दौर से गुजर रही है, उस पर नेताओं ने साफ कहा कि बढ़ती जियोपॉलिटिकल तनातनी, असमानता और टूटी हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच सहयोग ही रास्ता है. इस डिक्लेरेशन ने कर्ज़ सुधार को केंद्र में रखा और जलवायु फाइनेंस को बिलियन्स से ट्रिलियन्स तक बढ़ाने की ज़रूरत पर दोबारा रौशनी डाली।
भारत के लिए क्यों है यह महत्वपूर्ण
भारत के लिहाज़ से इस बार के नतीजे कई स्तर पर मायने रखते हैं. क्लीन एनर्जी, जस्ट ट्रांजिशन, क्रिटिकल मिनरल्स और फूड सिक्योरिटी, ये सभी मुद्दे वही थे जिन पर भारत ने अपनी G20 प्रेसिडेंसी के दौरान ज़ोर दिया था. इस बार भी इन्हें मजबूत पुष्टि मिली है।
डिक्लेरेशन में साफ लिखा गया कि दुनिया को ऊर्जा सुरक्षा, सस्ते दाम, एक्सेस और स्थिरता को साथ लेकर चलना होगा. साथ ही देशों ने फिर से यह वादा दोहराया कि दुनिया को 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को तीन गुना करना है और एनर्जी एफिशिएंसी को दोगुना. यही दो लक्ष्य भारत लगातार गढ़ता आया है।
PM मोदी ने दूसरी सेशन में क्रिटिकल मिनरल्स पर भारत का दृष्टिकोण रखा और कहा कि रीसायकलिंग, अर्बन माइनिंग और सेकंड लाइफ बैटरी जैसे कदम आने वाले दशक में विकास का आधार बनेंगे।
फूड सिक्योरिटी भी बड़ा मुद्दा रहा. भारत ने एक बार फिर डेकिन प्रिंसिपल्स को याद दिलाया जो उसने अपनी प्रेसिडेंसी में पेश किए थे और कहा कि जलवायु संकट सीधे भोजन की सुरक्षा से जुड़ा है।
ग्लोबल साउथ की आवाज़ हुई तेज़
अफ्रीकी नेताओं की पहल, ALDRI, ने भी डिक्लेरेशन को सराहा. उनका कहना है कि विकासशील देशों की कमर कर्ज़ के बोझ ने तोड़ी है और अगर इस ढांचे को नहीं बदला गया तो वे विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा या इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश ही नहीं कर पाएंगे.
भारत ने इस चर्चा को और मजबूती दी. भारत ने साफ कहा कि विकास की परिभाषा बदलनी होगी, वो जो प्रकृति के दोहन पर नहीं बल्कि संतुलन पर आधारित हो।
भारत पर क्या कहा विशेषज्ञों ने
राजदूत (डॉ.) मोहन कुमार ने कहा, “अमेरिका के न होने से G20 कमजोर नहीं हुआ. उल्टा यह दिखा कि दुनिया का एक बड़ा हिस्सा अब भी बहुपक्षवाद को महत्वपूर्ण मानता है. भारत की भूमिका बहुत स्पष्ट रही. भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज़ को जगह दिलाई।”
तृषांत देव, प्रोग्राम मैनेजर, CSE, ने कहा, “डिक्लेरेशन यह मानता है कि ग्रीन इंडस्ट्रियलाइजेशन ही भविष्य का रास्ता है. क्रिटिकल मिनरल्स पर जो फ्रेमवर्क बना है, वह विकासशील देशों के लिए बड़ा कदम है. साथ ही यह भी दिख रहा है कि जलवायु और व्यापार का रिश्ता बदल रहा है और यह बदलता समीकरण विकासशील देशों के लिए चुनौती बन सकता है।”
भारत की bilateral outreach भी मजबूत
समिट के दौरान भारत ने कई देशों के साथ संबंधों को आगे बढ़ाया।
• इटली के साथ आतंकवाद की फंडिंग रोकने पर नया इनिशिएटिव।
• कनाडा के साथ व्यापार वार्ता फिर शुरू हुई।
• साउथ अफ्रीका के साथ मिनरल सहयोग और ग्लोबल साउथ की आवाज़ को मजबूत करने पर सहमति।
कुल मिलाकर
दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में हुआ यह G20 समिट बताता है कि दुनिया अब नए चरण में प्रवेश कर रही है. एक ऐसा चरण जहां ग्लोबल साउथ की आवाज़ न केवल सुनी जा रही है, बल्कि फैसलों की दिशा तय कर रही है. भारत ने इस आवाज़ को और भी स्पष्ट और मजबूत बनाया है।
और
भारत के लिए यही वह पल है जहाँ कूटनीति, जलवायु महत्वाकांक्षा और विकास मॉडल, तीनों एक साथ खड़े हैं।
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