
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) ने ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (डीआरएटी) के अध्यक्षों और ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के पीठासीन अधिकारियों के बीच वार्तालाप का आयोजन किया: वित्त मंत्रालय
वार्तालाप में विभाग की ओर से कई प्रमुख पहलों जैसे संशोधित डीआरटी नियामकों का अपनाना, अनिवार्य ई-फाइलिंग और अन्य पर प्रकाश डाला गया
नई दिल्ली (PIB): वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) ने ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (डीआरएटी) के अध्यक्षों और ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के पीठासीन अधिकारियों के बीच 24 मई 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में वार्तालाप का आयोजन किया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एस. वी. एन. भट्टी ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और प्रमुख संबोधन दिया। प्रतिभागियों में डीएफएस के वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय बैंक संगठन और सार्वजनिक व निजी बैंकों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
डीएफएस सचिव ने विभाग की ओर से उठाई गई प्रमुख पहलों जैसे डीआरटी नियामकों को अपनाना, अनिवार्य ई-फाइलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई, हाइब्रिड सुनवाई इत्यादि पर प्रकाश डाला, जिससे मामलों के निपटान में न्यायाधिकरण का कम समय लगा।
वार्तालाप में डीआरटी की क्षमता को बेहतर करने से जुड़े विस्तृत विषयों पर गहन चर्चा हुई। इसमें कुछ प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया:
- डीआरटी नियामकों का प्रभावी कार्यान्वयन, 2024;
- डीआरटी की ओर से रिकवरी को तेज करने के लिए बैंकों की ओर से मजबूत मॉनिटरिंग और निरीक्षण तंत्र;
- वांछित रिकवरी के लिए डीआरटी में अधिक मूल्यवान मामलों को प्राथमिकता;
- मामलों के जल्द निपटान के लिए अतिरिक्त मुद्दा निपटान व्यवस्था जैसे लोक अदालतों का इस्तेमाल;
- डीआरटी के पीठासीन अधिकारियों और अन्य अधिकारियों की विशिष्ट ट्रेनिंग;
- डीआरटी कार्यवाहियों में कई प्रक्रियाओं में समय कम करने के लिए नए रिफॉर्म की प्रस्तावना इत्यादि।
सभी हितधारकों से प्रभावी रिकवरी इकोसिस्टम के निर्माण के लिए साथ मिलकर मामलों का लंबित रहने को कम करने का आग्रह किया गया। इससे डीआरटी के सामने लंबित मामलों में फंसी पूंजी को अर्थव्यवस्था में उत्पादक उपयोग के लिए दोबारा नियोजित करने में सुविधा होगी।
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