उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल की जीवनी पर आधारित पुस्तक *चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं* के लोकार्पण समारोह में उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए संबोधन का मूल पाठ (अंश)
नई दिल्ली (PIB): उप राष्ट्रपति सचिवालय ने विज्ञप्ति के माध्यम से "उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल की जीवनी पर आधारित पुस्तक "चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं" के लोकार्पण समारोह में उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए संबोधन का मूल पाठ (अंश)" जारी किया।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल की जीवनी पर आधारित पुस्तक "चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं" के लोकार्पण समारोह में उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए संबोधन का मूल पाठ (अंश):
सभी को नमस्कार,
देश के, भारत —home to one-sixth of humanity, भारत गणतंत्र के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश — उत्तम प्रदेश की महामहिम राज्यपाल और आज के कार्यक्रम की केंद्र बिंदु, श्रीमती आनंदीबेन पटेल — नाम ही काफी है। देखिए, क्या दिन चुना है, क्या सोच है — ‘1 मई’, जहाँ आप मुख्यमंत्री रहीं, मंत्री रहीं, अध्यापक रहीं। आज गुजरात काStatehood Dayहै — यह आपकी सोच है। गुजरात आपके दिल में धड़कता है। सभी गुजरात के भाई-बहनों को आज के इस सुअवसर पर मेरी शुभकामनाएँ!
आनंदीबेन पटेल इतनी सरल नहीं हैं, जैसी दिखती हैं। आज 1 मई श्रमिक दिवस भी है — सोच देखिए: जिनके लिए जीवनभर काम किया, उस दिन को पुस्तक विमोचन के लिए आपने चुना — साधुवाद की पात्र हैं। पर बात यहाँ तक नहीं रूकती है — स्थान कौन सा चुना? Abdul Kalam Technical University.
“India is world's most peace-loving nation.”India has the oldest civilisation.India is a land of inclusivity. The world comes to learn about inclusivity from Bharat.
उनके एक प्रतीक हैं, जिनको ढूंढा अटल बिहारी वाजपेयी जी ने — अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति बने, उनके नाम। पर आनंदीबेन पटेल जी की हर बात को बारिकी से देखना चाहता हूँ। बात फिर भी यहाँ ख़तम नहीं होती है।Technical University चुनी आपने — Chancellors बहुत University के हैं।Technical means — The world is being overtaken by disruptive technologies. We are facing more positive and critical situation than industrial revolution: Artificial Intelligence, Internet of Things, Machine Learning, Blockchain.ज़माना technology का है।भारत के प्रधानमंत्री ने देश को technology युक्त कर दिया है। दुनिया सराहना कर रही है, तो आपने उस प्रतिष्ठान को चुना, जो technology शब्द को परिभाषित करता है।
I congratulate the Hon’ble Governor, इन्होने हिम्मत तो हमेशा दिखाई है और हिम्मत को मैंने देखा है। हिम्मत का मैंने फायदा उठाया है, पर ऐसी पुस्तक लिखना आसान नहीं है, और ईमानदारी से लिखना बहुत ही मुश्किल है। “चुनौतियां मुझे पसंद है” सबसे बड़ी चुनौती यह है, यह लिखना की चुनौतियां मुझे पसंद है — आप साधुवाद की पात्र हैं।
और उत्तर प्रदेश-उत्तम प्रदेश के सुयोग्य मुख्यमंत्री, माननीय मुख्यमंत्री जी, आपको युवा मुख्यमंत्री कहा जा सकता है, क्योंकि आजकल युवा की परिभाषा मेरे समझ में नहीं आती है। आपसे उम्र में बड़े लोग अपने आपको युवा कहते हैं, तो मुझे कोई संकोच नहीं, आप युवा मुख्यमंत्री हैं। इस उत्तर प्रदेश 8 साल बेमिसाल के आप नायक हैं, और महाकुम्भ — विश्व का सबसे बड़ा आयोजन, सांस्कृतिक आयोजन।साठ करोड़ से ज़्यादा लोगों का बहुत कम समय में वहाँ आना। इतना सफलतम आयोजन सदियों तक याद रहेगा, सदियों पहले कभी नहीं हुआ, पूरे विश्व में कभी सम्पन्न नहीं हुआ — आप उसके सारथी हैं। पर जैसे आपके राज्यपाल की बात बारीकी से देखनी पड़ती है, आपका भी आंकलन कोई आसान नहीं है, मुख्यमंत्री जी। साढ़े आठ साल में बिना कोई टैक्स लगाए हुए 12.75 लाख करोड़ की जो economy थी, उसको कई बार आप 30 लाख करोड़ तक ले गए। हर अर्थशास्त्री के लिए अचम्भा है कि उत्तर प्रदेश, उत्तम प्रदेश इस तरीके से बना है। यह शोध का विषय है। प्रतिव्यक्ति आय, उसमें भी आपने डबल छलाँग लगा दी, 46 हजार से 1 लाख 10 हजार कर दी।
भारत गणतंत्र का 55 परसेंट एक्सप्रेस-वे आपके यहाँ पर है, दुनिया के बहुत से देश, जिनमें बहुत कम संख्या है metros की, और आपने you have frog leaped। अभी मेरी जानकारी के हिसाब से 6 शहरों में ही मेट्रो हैं, और देश में आप अव्वल नंबर हैं। पर बात यहाँ तक नहीं रुकती है, जैसे महामहिम राज्यपाल की भी नहीं रुकती है।Maximum Airports functional at the moment — 16, 4 international airports, और मान्यवर, देश और दुनिया इंतजार कर रही है जेवर का।Actually, जेवर तो जेवर है — प्रगति का जेवर है, और जेवर जितना ग्रहण किया जाए, वो अच्छा ही लगता है।
ऐसी परिस्थिति में आपकी उपस्थिति बहुत महत्व रखती है। आपके बारे में जो महामहिम राज्यपाल ने कहा, शत-प्रतिशत सही है। आपने कुछ बातें ऐसी कही हैं, जो चुनौती से जुड़ी हुई हैं।
चुनौती से पलायन करना, चुनौती के प्रति उदासीन रवैया रखना, चुनौती के प्रति निष्क्रिय होना — कायरता की निशानी है। कायरता का कोई भी अंश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री में नहीं है, इसमें कोई मेडिकल जांच की आवश्यकता नहीं है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, संस्कृत हो, हिंदी हो, अंग्रेज़ी हो — absolutely fluent, seamless, A Cultural Ambassador of Bharat.
श्री सतीश महाना जी लम्बे समय तक विधायक रहे। खन्ना जी कहाँ हैं, खन्ना जी के बराबर हैं, कौन ज़्यादा है, मुझे नहीं पता। सतीश महाना जी या हमारे प्रखर काँग्रेसी, मेरे पुराने मित्र, वो भी आपके ही समकक्ष हैं। अनुभवी विधानसभा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य जी और ब्रजेश पाठक जी बहुत बड़े प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं।
अनार पटेल और संजय भाई के बारे में एक बात कहूँगा। अनार ने बहुत तरीके से अपनी माँ का विवरण किया, तो मुझे एक प्रसंग याद आ गया, चलचित्र से है। अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच में एक वाद-विवाद हो रहा है — मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, बैंक बैलेंस है, आपके पास क्या है? तो शशि कपूर ने सहशक्त तरीके से कहा, "मेरे पास माँ है।" अनार, आपके पास ऐसी माँ है, जिसकी ताकत उम्र के साथ कम नहीं हुई है।
And the best is yet to come — परम आदरणीय कलराज मिश्रजी, मेरे मार्गदर्शक रहे हैं, बहुत अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं और संवैधानिक दृष्टि से जो परिवर्तन आपने राजस्थान के राजभवन में लाए हैं — सदैव याद रहेगा। भारत के संविधान का सही ज्ञान यदि आपको लेना है, कम समय में प्रभावी तरीके से, अमिट तरीके से, तो आपने जो वहाँ किया है उसका दर्शन कर लें।
हमारे सामने माननीय बृजलाल जी कहाँ हैं, अच्छा दिख रहे हैं, राज्यसभा के प्रखर सदस्य हैं, यह गृह विभाग समिति के अध्यक्ष हैं। बड़े प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं, पर सबसे महत्वपूर्ण, बहुत बड़े लेखक हैं।I can say with pride, I am privileged to be Chairman of a House, where we have such gifted people like Brij Lal Jias Members.
Hon’ble Ministers, Legislators, and the most important component is bureaucracy. We have amongst us Manoj Kumar, Chief Secretary, and in the audience, we have from your own state. Both being alumni of IIT Kanpur. Shri Sunil Kumar Gupta, a Senior IAS officer, 1997 Batch, Secretary to Vice-President.
सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है जो लोग यहाँ उपस्थित हैं और जो इस कार्यक्रम को देख रहे हैं, क्योंकि जो उद्बोधन महामहिम राज्यपाल का हुआ है, और जो उन्होंने वर्णन किया है 1993 का, विशेषकर, और यह जानकारी पुस्तक में लिखने से पहले मुझे हो चुकी है।
Dr. Murli Manohar Joshi, I have the highest regard for him. He's a scientist with scientific temper, a great parliamentarian. He was also there.
पर उसके संदर्भ में पहलगाम की चर्चा हुई है। पहलगाम एक चुनौती प्रस्तुत करता है। But the nation is fortunate to have a towering leader, Prime Minister Narendra Modi, in his third term, and that is our greatest assurance. But when we have a चुनौती like Pahalgam, the nation has to rise as one person. It is an occasion for us to take a resolve. National interest is beyond compromise, nation first has to be our principle.
हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है। राष्ट्रवाद हमारा धर्म है और राष्ट्रीयता से हम ओतप्रोत हैं, इससे हम दूर नहीं हट सकते। और यही कारण है कि आज दुनिया भारत की ओर देख रही है।
भारत के प्रधानमंत्री ने सबसे बड़ी चुनौती स्वीकार की और चुनौतियों को अवसर में बदला। और नतीजा क्या हुआ? हर घर में शौचालय, हर घर में बिजली कनेक्शन, हर घर में इंटरनेट, हर घर में नल, और आसपास में शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्थाएँ। हर किसी को काम के लिए किसी और का मोहताज नहीं होना पड़ता है। हमारी बहनों ने, माताओं ने, कितना फायदा मुद्रा का उठाया है, यह चमत्कारिक है।
चुनौतियाँ आएँगी, जैसे मैंने कहा, मैंने तो खुद उस चुनौती को स्वीकार किया, चुनौती के साथ रहता हूँ। हर कार्यक्रम में चुनौती को मेरे पास रखता हूँ। पर सबसे खतरनाक चुनौती वो है, जो अपनों से मिलती है, जिसकी हम चर्चा नहीं कर सकते। महामहिम राज्यपाल और माननीय मुख्यमंत्री जी, क्या मैं सही कह रहा हूँ? जो चुनौती अपनों से मिलती है, जिसका तार्किक आधार नहीं है, जिसका राष्ट्र विकास से संबंध नहीं है, जो राज्य-काज से जुड़ी हुई है। आप ही नहीं, मैं भी बहुत शिकार हूँ, महामहिम राज्यपाल, इन चुनौतियों का मैं स्वंय शिकार हूँ, मुक्तभोगी हूँ।
पर हमारे सामने एक बहुत बड़ी ताकत है, और हमारी ताकत है हमारा दर्शन, हमारी civilisational depth। और जिन्होंने हमें कह रखा है, जब भी कोई संकट आए, वेद की तरफ ध्यान दो, गीता, रामायण, महाभारत की तरफ ध्यान दो, “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।” जब भी चुनौती सामने आए, चुनौतियाँ आएँगी। चुनौतियाँ ऐसी आएँगी कि आप विवशता में पड़ जाते हो और सोचते हो, दीवारों के भी कान हैं। तो उस चुनौती की चर्चा खुद को भी नहीं करते हो, पर कभी भी कर्तव्य पथ से अलग नहीं हटना है।
और यही कारण है कि भारत के प्रधानमंत्री ने दूर सोच दिखाते हुए राजपथ को कर्तव्य पथ किया। मैं क्यों कह रहा हूँ, हाल के कुछ दिनों में यह घटनाक्रम हुआ है, जिसपर मैंने वक्तव्य भी दिया है, आपके प्रांत से भी जुड़ा हुआ है। पर मैं आपको याद दिलाना चाहूँगा कि 60 वर्ष पहले, इसी प्रांत के अंदर सबसे बड़ा टकराव विधायिका और न्यायपालिका में हुआ था। आप सभी उसके बारे में जानकारी रखते हैं।
It is our bounden duty to ensure our Constitutional institutions have respect for one another, and the respect rises when institutions confine to their own area. When institutions respect one another, our Constitution does not envisage confrontation amongst institutions, Constitution wants coordination, collaboration, discussion, deliberation, dialogue, and debate.
और इसीलिए मैं कहता हूँ, जब देश की अप्रत्याशित उन्नति हो रही है — अर्थव्यवस्था के अंदर, संस्थागत ढाँचे के अंदर — और कौन जानता है आपसे better? आप लोगों ने, यही प्रांत है, जिन्होंने सबसे पहले first water way दिया है। देश का पहला water way, महामहिम राज्यपाल, आपके प्रांत में है। योगी आदित्यनाथ ने योग्यता दिखाते हुए यह काम पानी पर भी चालू कर दिया है।
The state can most legitimately boast of having the first rapid rail — उत्तर प्रदेश में है। और इसीलिए मैं कहता हूँ, आज के दिन India is bubbling with hope and possibility. समुद्र की गहराइयों में जाइए, समुद्र के तट पर जाइए, ज़मीन पर देखिए, ज़मीन के नीचे देखिए, आसमान में देखिए, अंतरिक्ष में देखिए। The rise of Bharat is phenomenal. ऐसे मौके में चुनौतियाँ आएँगी, पर उन चुनौतियों से पलायन नहीं करना चाहिए।
यह लोग कहते हैं कई बार, Public memory is short, और सोचते हैं कि समय के साथ बात आई-गई हो जाएगी। ऐसा होता नहीं है। क्या हम Emergency को भूल गए? समय तो बहुत निकल गया है। Emergency की काली छाया आज भी हमको नज़र आती है। The darkest period of Indian history, when legs were pulled behind the bars, access to Judiciary was negative. मौलिक अधिकारों का दूर-दूर तक कोई नाम नहीं रहा, लाखों लोग जेल में चले गए — हम नहीं भूले।
उसी तरीके से, हाल ही में जो पीड़ादायक घटना हुई है, मैं मानकर चलता हूँ — मेरा जो दृढ़ मत है — हमें इस पर विश्वास करना पड़ेगा कि every person is innocent। Innocence has a premium value in Democracy.पर कोई भी अपराध हो, कानून के हिसाब से उसका निपटारा होना चाहिए। जो अपराध आम आदमी के मानस को छूता हो, उस पर पर्दा नहीं डाला जा सकता। मैंने इस बात को कहा है। कुछ लोगों ने मुझे कहा कि आप इस विषय पर इतने बेबाक क्यों हो?
मुझे बड़ी प्रेरणा मिली महामहिम राज्यपाल की पुस्तिका से, और मैंने कहा —चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं, और संवैधानिक दायित्व निर्वहन करने के अंदर कोई भी कोताही हमें स्वीकार नहीं है।
एक बहुत बड़ी बात कही गई है, जो हम सबके लिए बहुत ज़रूरी है। हम अपने आप को प्रजातंत्र क्यों कहते हैं? आर्थिक उन्नति, संस्थागत ढाँचे में विकास, तकनीक का प्रचलन महत्वपूर्ण है। यह भी है — खाद्य सुरक्षा। पर Democracy is defined by Expression and Dialogue.अभिव्यक्ति और वाद-विवाद ही Democracy हैं।अभिव्यक्ति पर यदि अंकुश लगता है, तो किसी भी राष्ट्र के लिए अपने आप को प्रजातंत्र कहना मुश्किल होगा।पर अभिव्यक्ति का कोई अर्थ नहीं है, यदि अगर उसके साथ वाद-विवाद नहीं हो।
अभिव्यक्ति इस पराकाष्ठा पर चली जाए कि अभिव्यक्ति करने वाला समझे 'मैं ही सही हूँ' और दूसरा हर परिस्थिति में गलत है, उसकी बात सुनी नहीं जाए — तो वो अभिव्यक्ति, अभिव्यक्ति का अधिकार, विकार बन जाता है।
Democracy has to be defined when we have wholesome ecosystem, expression and dialogue flourish together. They are complemented to each other. और यदि अभिव्यक्ति पराकाष्ठा पर चली जाएगी, वाद-विवाद नहीं होगा, तो हमारे वेदों का जो दर्शन है — अनंतवाद — वो खत्म हो जाएगा। और उसके बाद उपज होगा ‘अहम और अहंकार’, 'अहम और अहंकार' व्यक्ति और संस्था के लिए घातक हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, सबसे पुराना लोकतंत्र है। हमारी साँस्कृतिक विरासत बेमिसाल है। तो कोई भी, किसी भी परिस्थिति में इनको चुनौती दे, तो उस चुनौती को हमें स्वीकार करना चाहिए।
We should not get away from facing these challenges. Any other step — expedient, escapist, opportunistic — is reflective of cowardice. और मैं इसीलिए कहता हूँ कि आपका प्रांत देश को define करता है दो बातों में। 8 साल पहले आपके प्रांत की परिभाषा क्या थी?
I am rising above politics; I am not stakeholder in politics but I am stakeholder as citizen of this country in governance.क्या परिवर्तन आ गया? Law and order, the highest category of it, has become the order of the day. पर यह स्थापित करने में कितनी चुनौतियाँ होंगी, मुझे नहीं लगता कि मुख्यमंत्री महोदय कभी इसपर पुस्तक लिखेंगे, इसलिए नहीं कि इनमें पुस्तक लिखने की हिम्मत नहीं है — है हिम्मत। पर इतनी हिम्मत है कि इन चुनौतियों को अंगीकार करना चाहिए, इनको अवसर में बदलना चाहिए। यह है।
मैं इस पुस्तक का कायल इसलिए हूँ कि यह पुस्तक आनंदीबेन पटेल के लिए नहीं है। यह पुस्तक प्रेरणा का स्रोत है। It is source material for gender upliftment, gender emancipation, gender empowerment. यहाँ बैठकर यह देखना बहुत आसान है कि ऐसे पढ़ाई कर ली, ऐसे टीचर बन गए। मैंने पुस्तक पढ़ी है, मेरी धर्मपत्नी ने पढ़ी है, इनकी शायद पहली पुस्तक होगी वो, जिससे पता लगता है, इनको चुनौतियाँ पसंद हैं क्योंकि यह अन्याय से नफरत करती हैं, अन्याय को बर्दाश्त नहीं करती और किसी भी परिस्थिति में नहीं करती हैं। I am absolutely elated to be part of this grand event. जब यह आयीं तो मैंने कहा, आप ही तय कर सकती हैं कि मैं इस कार्यक्रम में कहाँ बैठूंगा। And trust me, मैं यहाँ नहीं बैठा होता तो मैं आपके साथ बैठा होता। पर इस कार्यक्रम में, मैं ज़रूर आता।
हमने संसद टीवी के अंदर माननीय राज्यपाल महोदया का एक interview लिया है, मैंने देखा, मैं दंग रह गया। जो पुस्तक में भी नहीं है, वो जानकारी भी हमारे सामने आई है। And therefore half the humanity of Bharat, जिसको एक बहुत बड़ी ताकत दी है, नारी शक्ति अधिनियम के माध्यम से, उसकी प्रतीक हैं — आनंदीबेन पटेल।
I am extremely delighted, पर अंत में एक बात कहूँगा और यह पीड़ा के साथ कह रहा हूँ — In our Constitution, two positions are supreme. One is of the President of India; another is of the Governor. और माननीय मुख्यमंत्री जी, वो सुप्रीम इसलिए हैं कि जो शपथ आपकी है, जो शपथ मेरी है, जो शपथ सांसद की है, मंत्री की है, विधायक की है, किसी भी न्यायाधीश की है। वो शपथ है — I will abide by the Constitution. पर द्रौपदी मुर्मू जी की शपथ और आनंदीबेन पटेल जी की शपथ अलग है। इनकी शपथ है — I will preserve, protect and defend the Constitution. और दूसरी शपथ है — I will serve the people, for the Governor, people of the state and for the President, people of India. ऐसे गरिमापूर्ण पदों पर टिप्पणियाँ करना, मेरे हिसाब से चिंतन का विषय है, सोच का विषय है, और मैंने मेरी चिंता इस विषय में व्यक्त की है।
All institutions have their own role to play. One should not play the role of the other. We have to respect Constitution in letter, in spirit, in essence. और मैं कह चुका हूँ, 140 करोड़ जनता अपनी भावना व्यक्त करती है चुनाव में, अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से, और वो जनप्रतिनिधि अकेले जनता के मानस बताते हैं, and people hold them accountable in elections। और इसीलिए मैंने आम आदमी की भाषा में कहा है कि जिस तरीके से विधायिका फैसला नहीं लिख सकती है, यह न्यायालय का काम है, उसी तरह से कानून में नहीं किया जा सकता।
I have highest respect for judiciary, I am a foot soldier of judiciary. I spent more than four decades as a lawyer. It was only in 2019 I ceased to be a lawyer upon being appointed Governor, State of West Bengal. मैं जानता हूँ, judiciary में प्रतिभाशाली लोग हैं। Judiciary का बहुत बड़ा महत्व है। हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था कितनी मजबूत है, it is defined by state of judiciary. At a global benchmark, our judges are one of the best. But then I appeal, we should show collaboration, coordination, and cooperative stance. Institutions—executive, judiciary, and legislature—must work in tandem and togetherness.
खैर, महामहिम राज्यपाल, मेरे को घर में पहले ही बहुत बड़ी चुनौती थी। इस कार्यक्रम के बाद यह चुनौती कई गुना बढ़ गई है। इसीलिए, इस चुनौती को मीट करने के लिए आपसे कुछ भोजन के समय गुरुमंत्र लूँगा। और आप गुरुमंत्र नहीं देंगी, हो सकता है तो मैं आपका एकलव्य बनूँगा। रास्ता तो निकालना पड़ेगा।
Once again, I congratulate the Hon’ble Governor of Uttar Pradesh, an enormously gifted person, a great administrator, a teacher, a Minister, a Chief Minister, a Governor, and much more to come. I am still counting. She will inspire and motivate not only her gender but also the entire country and beyond.
Thank you so much.
*****