आपूर्ति श्रृंखला सुदृढीकरण समझौते के तहत आपूर्ति श्रृंखला परिषद का गठन किया गया, जिसमें अमेरिका अध्यक्ष और भारत उपाध्यक्ष होगा: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
नई-दिल्ली (PIB): भारत ने नवंबर 2023 में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी(आईपीईएफ़), जो क्षेत्र में 14 सदस्यीय बहुपक्षीय समूह है। के तहत सप्लाई चेन रेजिलिएंस एग्रीमेंट (स्तंभ-II) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण सप्लाई चेन को मजबूत करना है। यह समझौता 24 फरवरी, 2024 को लागू हुआ। समझौते के तहत, एक सप्लाई चेन काउंसिल (एससीसी) की स्थापना की गई है, जिसका अध्यक्ष अमेरिका और उपाध्यक्ष भारत होगा।
आईपीईएफ भागीदार वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 40 प्रतिशत और वैश्विक वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार का 28 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सक्रियता के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। यह समझौता पार्टियों की अर्थव्यवस्थाओं में उद्यमों के बीच आर्थिक, वाणिज्यिक और व्यापार संबंधों को मजबूत करने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला के सुदृढीकरण में सुधार करने का प्रयास करता है। समझौते का अनुच्छेद 6.10 आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखलाओं के लचीलेपन, दक्षता, उत्पादकता, स्थिरता और समावेशिता आदि को बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है।
समझौते के अनुच्छेद 10 में राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने या महत्वपूर्ण या व्यापक आर्थिक व्यवधानों की रोकथाम के लिए आईपीईएफ भागीदारों द्वारा महत्वपूर्ण क्षेत्रों या प्रमुख वस्तुओं की पहचान करने का प्रावधान है। भारत आपूर्ति श्रृंखला सुदृढीकरण में आईपीईएफ भागीदारों के साथ सहयोग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों या प्रमुख वस्तुओं की पहचान के लिए उद्योग, शिक्षा, विशेषज्ञों आदि जैसे हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है। सितंबर 2024 में, वाशिंगटन के पहली एससीसी बैठक में सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण खनिज और रसायन जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाली कार्य योजना टीमों का गठन किया गया। बैठक में, भारत ने स्वास्थ्य सेवा/फार्मा क्षेत्र पर प्रस्तावित कार्य योजना टीम का नेतृत्व करने की इच्छा व्यक्त की है। रसद और माल की आवाजाही, और डेटा और एनालिटिक्स पर ध्यान केंद्रित करने वाली दो उप-समितियाँ भी बनाई गई हैं। भारत ने सितंबर 2024 में वाशिंगटन डीसी में आयोजित संकट प्रतिउत्तर नेटवर्क की पहली बैठक में भाग लिया, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों की अत्यधिक संभावना वाले परिदृश्यों का अनुकरण करके वास्तविक संकट स्थितियों में प्रतिउत्तर समय को कम करने के उद्देश्य से एक टेबलटॉप अभ्यास शामिल था।
इसके अलावा, पिछले दो वर्षों में वाणिज्य विभाग द्वारा अमेरिका के साथ दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं: एक सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में और दूसरा महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में, इन क्षेत्रों में भारत की आपूर्ति श्रृंखला की सुदृढ़ता सुनिश्चित करने की दिशा में दोनों ही एक मजबूत कदम हैं।
यह जानकारी केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में आज एक लिखित उत्तर में दी।
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