भविष्य को सशक्त बनाना: सुकन्या समृद्धि योजना के साथ अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया गया
नई दिल्ली (PIB): भविष्य को सशक्त बनाने के लिए सुकन्या समृद्धि योजना के साथ अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया गया।
परिचय
बेटियां समाज को आकार देने, विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान देने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 22 सितंबर को हर साल मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस लड़कियों के महत्व को पहचानने और हर जगह उनके सशक्तिकरण और समर्थन की आवश्यकता पर जोर देने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है, जबकि वे हर दिन जश्न मनवाने की हक़दार हैं। भारत में, सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के हिस्से के रूप में जनवरी 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए सुकन्या समृद्धि खाते जैसी पहलों के जरिये बेटियों के उत्थान के लिए सार्थक कदम उठाए हैं।
यह बचत योजना माता-पिता को अपनी बेटियों के भविष्य में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिसमें शिक्षा और विवाह के खर्च शामिल हैं और इस योजना के अंतर्गत खोले गये खातों तक देश के किसी भी डाकघर या नामित वाणिज्यिक बैंक शाखाओं से पहुंचा जा सकता है। इन पहलों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लड़कियों को आगे बढ़ने, अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने तथा अपने समुदायों और अर्थव्यवस्था में सक्रिय योगदानकर्ता बनने के समान अवसर मिलें। अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस हर बेटी की क्षमता में निवेश करने और समानता और अवसर पर आधारित भविष्य को बढ़ावा देने की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। सुकन्या समृद्धि योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से, भारतीय डाक विभाग बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के लक्ष्यों को मूर्त रूप से आगे बढ़ा रहा है और पूरे देश में बेटियों को सशक्त बना रहा है।
सुकन्या समृद्धि ग्राम: सुकन्या समृद्धि योजना इस अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर धूम मचा रही है
कई गांवों में दस वर्ष तक की सभी पात्र लड़कियों के लिए सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए हैं, जिससे इन समुदायों को पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम का दर्जा मिला है। 'अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस' (22 सितंबर) पर, उत्तर गुजरात क्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने घोषणा की कि उत्तर गुजरात के लगभग 500 गांवों ने यह दर्जा प्राप्त कर लिया है। इन गांवों में, जब एक बेटी पैदा होती है, तो डाकिया तुरंत सुकन्या समृद्धि खाता खोलने में सहायता करने के लिए उस परिवार के पास जाता है। इस सक्रिय दृष्टिकोण के फलस्वरूप अकेले उत्तर गुजरात क्षेत्र में 4.50 लाख से अधिक सुकन्या खाते खोले गए हैं, जबकि पूरे गुजरात सर्कल में कुल 15.22 लाख खाते हैं। विद्यालयों और सामुदायिक बैठकों में चल रहे अभियान पात्र लड़कियों को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से जोड़ते हैं, जिससे उनके भविष्य के प्रति उनकी कटिबद्धता मजबूत होती है।
सुकन्या समृद्धि योजना
जनवरी 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना का उद्देश्य माता-पिता को अपनी बेटियों के भविष्य के लिए बचत करने के लिए प्रोत्साहित करके उन्हें सशक्त बनाना है। इस योजना के अंतर्गत माता-पिता किसी भी डाकघर या नामित वाणिज्यिक बैंक शाखा में दस वर्ष की आयु तक की अपनी लड़कियों के लिए सुकन्या समृद्धि खाता खोल सकते हैं, जिसकी शुरुआत न्यूनतम 250 रुपये की प्रारंभिक जमा राशि से होती है और बाद की जमा राशि 50 रुपये के गुणकों में की जा सकती है, बशर्ते कि एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 250 रुपये जमा किए जाएं। कुल वार्षिक जमा राशि सीमा 1,50,000 रुपये तक है तथा किसी भी अतिरिक्त राशि पर ब्याज नहीं मिलेगा और उसे वापस कर दिया जाएगा। खाता खोलने की तारीख से पंद्रह साल तक की अवधि के लिए राशि को जमा किया जा सकता है। अगर न्यूनतम वार्षिक जमा राशि पूरी नहीं की जाती है, तो खाते को डिफ़ॉल्ट के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, लेकिन आवश्यक न्यूनतम जमा राशि के साथ-साथ डिफ़ॉल्ट के प्रत्येक वर्ष के लिए 50 रुपये का जुर्माना देकर इसे नियमित किया जा सकता है। यदि इसे नियमित नहीं किया जाता है, तो खाते को बंद होने तक सभी पूर्व जमा राशियों पर ब्याज मिलता रहेगा, जिससे बालिकाओं को निरन्तर वित्तीय लाभ मिलता रहेगा।
ब्याज दर: ब्याज की गणना मासिक आधार पर की जाती है, जो पांचवें दिन की समाप्ति से लेकर महीने के अंत तक खाते में सबसे कम शेष राशि पर आधारित होती है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में, यह ब्याज खाते में जमा किया जाता है, जिसमें किसी भी अंश राशि को निकटतम रुपये में पूर्णांकित किया जाता है - पचास पैसे या उससे अधिक की राशि को पूर्णांकित किया जाता है, जबकि इससे कम राशि को अनदेखा किया जाता है। उल्लेखनीय रूप से, स्थानान्तरण के कारण खाता कार्यालय में किसी भी बदलाव की परवाह किए बिना वित्तीय वर्ष के अंत में ब्याज जमा किया जाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि बालिका के लिए वित्तीय विकास निरंतर और सुरक्षित बना रहे।
खाते का प्रबंधन: बालिका के अठारह वर्ष की आयु को पूरा करने तक खाते का प्रबंधन अभिभावक द्वारा किया जाता है। इससे अभिभावक बचत की देखरेख कर सकते हैं और यह सुनिश्चित भी कर सकते हैं कि बच्चे की शिक्षा और भविष्य की आवश्यकताओं के लिए फंड का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए। अठारह वर्ष की आयु होने पर, खाताधारक आवश्यक दस्तावेज जमा करके खाते का नियंत्रण खुद ले सकता है।
खाते का समय से पहले बंद होना: खाताधारक की मृत्यु की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ आवेदन जमा करने पर खाते को तुरंत बंद किया जा सकता है। मृत्यु की तिथि तक शेष राशि और अर्जित ब्याज अभिभावक को दिया जाएगा। इसके अलावा, खाताधारक की मृत्यु और खाते के बंद होने के बीच की अवधि के लिए ब्याज की गणना डाकघर बचत खातों पर लागू दर पर की जाएगी। इसके अतिरिक्त, अनुकम्पा के आधारों पर, जैसे कि खाताधारक को जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है या अभिभावक की मृत्यु हो गई है, तब लेखा कार्यालय पूरी तरह से दस्तावेज उपलब्ध कराने के बाद समय से पहले खाते को बंद करने की अनुमति दे सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि खाता खोलने के पहले पांच वर्षों के अंदर कोई खाता समयपूर्व बंद नहीं हो सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि यह योजना भविष्य के लिए एक सुरक्षित निवेश बनी रहे और साथ ही यह संकट के समय में लचीलापन भी प्रदान करे।
निकासी: खाताधारक पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में शेष राशि के पचास प्रतिशत तक की निकासी के लिए आवेदन कर सकता है, विशेष रूप से शैक्षिक उद्देश्यों के लिए। इस तरह की निकासी को तभी मंजूर मिलेगी, जब खाताधारक अठारह वर्ष का हो जाए या वो दसवीं कक्षा पूरी कर ले, जो भी पहले हो। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए, खाताधारक को आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ एक आवेदन-पत्र जमा करना होगा, जैसे कि दाखिले की पुष्टि की गई पेशकश या शैक्षिक संस्थान से वित्तीय आवश्यकताओं का विवरण देने वाली शुल्क-पर्ची। निकासी एकमुश्त या किश्तों में की जा सकती है, अधिकतम पांच वर्षों तक प्रति वर्ष एक निकासी, हमेशा यह सुनिश्चित करते हुए कि राशि दाखिले की पेशकश या शुल्क-पर्ची में उल्लिखित वास्तविक शुल्क और खर्च से अधिक न हो।
खाते की परिपक्वता: खाताधारक के खाता खोलने की तिथि से इक्कीस साल पूरा होने पर खाता परिपक्व हो जाता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में समय से पहले खाता बंद करने की अनुमति है, विशेष रूप से तब, जब खाताधारक परिपक्वता तक पहुंचने से पहले शादी करना चाहता हो। ऐसे मामलों में, खाताधारक को एक गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर एक घोषणा के साथ एक आवेदन देना होगा, जिसे नोटरी द्वारा विधिवत रुप से सत्यापित किया गया हो और आयु का प्रमाण प्रदान करना होगा कि वे विवाह की तिथि पर कम से कम अठारह साल के हो जाएंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि खाते को समय से पहले बंद करना केवल इच्छित विवाह से एक महीने पहले की अवधि के भीतर ही हो सकता है और विवाह के तीन महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। मंजूरी मिलने पर, खाताधारक बकाया राशि को लागू ब्याज के साथ प्राप्त करने के लिए एक आवेदन पत्र जमा कर सकता है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर फंड तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।
इस पहल के जरिये, सरकार न केवल बचत को बढ़ावा देती है, बल्कि लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण में निवेश करने के मूल्य को और मजबूत करती है।
आवेदन पत्र
खाता खोलने के मानदंड
इस योजना के अंतर्गत, कोई अभिभावक दस वर्ष से कम आयु की बालिका के नाम पर खाता खोल सकता है। खाता खोलने की तिथि तक बालिका की आयु दस वर्ष से कम होनी चाहिए।
प्रत्येक खाताधारक को केवल एक खाता रखने की अनुमति है, जिससे प्रत्येक बच्चे के लिए केंद्रित बचत सुनिश्चित हो सके।
खाता खोलने के लिए, अभिभावक को आवश्यक दस्तावेजों के साथ बालिका का जन्म प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना होगा।
विशेष रूप से, एक परिवार अधिकतम दो बालिकाओं के लिए खाता खोल सकता है; हालांकि, यदि पहली या दूसरी संतान के रूप में जुड़वां या तीन बच्चे पैदा होते हैं, तब वो परिवार अतिरिक्त खाते खोलने के लिए एक शपथ-पत्र और जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर सकता है।
लड़कियों के उत्थान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम
1. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP) केंद्र सरकार द्वारा 22 जनवरी, 2015 को लड़कियों के लिए जागरूकता बढ़ाने और कल्याणकारी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए शुरू किया गया एक बहुत महत्वपूर्ण अभियान है। 100 करोड़ रुपये (लगभग 14 मिलियन डॉलर) के शुरुआती वित्तपोषण के साथ, यह पहल उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, बिहार और दिल्ली जैसे इलाकों में केंद्रित है, जहां लैंगिक असमानताएं स्पष्ट हैं। जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि बाल लिंग अनुपात में चिंताजनक गिरावट आई है, जो 2001 में प्रति 1,000 लड़कों पर 927 लड़कियों से घटकर 2011 में 918 हो गई है, जो कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस - 11 अक्टूबर को इस मुद्दे पर बोलते हुए कन्या भ्रूण हत्या के उन्मूलन का आह्वान किया और MyGov.in पोर्टल के माध्यम से जनता से सुझाव मांगे। महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित बीबीबीपी योजना बहु-क्षेत्रीय प्रयासों के माध्यम से कम बाल-लिंग अनुपात वाले जिलों को लक्षित करती है। इस अभियान को सरपंच सुनील जगलान से प्रेरित #सेल्फीविदडॉटर मूवमेंट के साथ महत्वपूर्ण सफलता मिली, जिसने बेटियों का जश्न मनाया और एक सांस्कृतिक बदलाव को बढ़ावा दिया।
किशोरियों के लिए योजना (एसएजी)
किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) एक बहुत महत्त्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य 14 से 18 वर्ष की आयु की किशोरियों की पोषण और स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा करना है, खासतौर पर देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र और आकांक्षी जिलों (सबसे कम विकसित जिले) में।
एसएजी योजना को सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के अंतर्गत शामिल किया गया है। इस योजना को केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग की अवधि 2021-22 से 2025-26 के दौरान लागू करने के लिए मंज़ूरी दी है। सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है।
यह योजना आवश्यक पोषण सहायता और आईएफए (आयरन और फोलिक एसिड) अनुपूरण, स्वास्थ्य जांच और पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा सहित विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके अंतर-पीढ़ी कुपोषण से निपटने के लिए एक जीवन चक्र दृष्टिकोण अपनाती है। कौशल विकास की जरूरत को महसूस करते हुए, यह कार्यक्रम लड़कियों को सशक्त बनाने और सार्वजनिक सेवाओं तक उनकी पहुंच बढ़ाने के लिए जीवन कौशल प्रशिक्षण भी प्रदान करता है। शुरुआत में 11-14 वर्ष की आयु की विद्यालय न जाने वाली लड़कियों को लक्षित करते हुए, इस योजना को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के साथ संरेखित करने के लिए संशोधित किया गया था, जो यह सुनिश्चित करता है कि इस युवा समूह को विद्यालयों में अनिवार्य शिक्षा और मिड डे मील मिले। नतीजतन, बड़ी किशोर लड़कियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एसएजी योजना को और विकसित किया गया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उन्हें अपने स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार करने के लिए आवश्यक सहायता मिले। इस व्यापक दृष्टिकोण का उद्देश्य किशोर लड़कियों के स्वास्थ्य और उनकी शिक्षा का उत्थातन करना है, जिससे उनके उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो।
ग्रामीण भारत में किशोरियों में मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ग्रामीण भारत में किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना, 2011 से किशोर प्रजनन यौन स्वास्थ्य के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में, ग्रामीण क्षेत्रों में 10-19 वर्ष की आयु की लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।
3,13,255 से अधिक आंगनवाड़ियों और 3,69,461 स्कूलों की भागीदारी के साथ, इस योजना का उद्देश्य युवा महिलाओं को मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के बारे में शिक्षित और सशक्त बनाना है। आशा कार्यकर्ता छह नैपकिन के लिए 6 रुपये की रियायती दर पर सैनिटरी नैपकिन पैक वितरित करके और मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता प्रबंधन सहित स्वास्थ्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मासिक बैठकें आयोजित करके इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत, सरकार केवल 1 रुपये प्रति पैड पर जन औषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन प्रदान करती है, जिससे सुलभ और सस्ती मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित हो जाती हैं। 30 जून, 2024 तक सुविधा नैपकिन की संचयी बिक्री 57.00 करोड़ रुपये हुई थी।
उड़ान: छात्राओं को पंख देने वाला कार्यक्रम
उड़ान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मार्गदर्शन में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा 2014 में शुरू की गई एक अभिनव परियोजना है, जिसका उद्देश्य प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी संस्थानों में छात्राओं के कम नामांकन को संबोधित करना और स्कूली शिक्षा और अभियांत्रिकी प्रवेश परीक्षाओं के बीच की खाई को पाटना है। यह पहल लड़कियों को अभियांत्रिकी में अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने और उनको राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाती है। इस कार्यक्रम के तहत, कक्षा XI और XII की छात्राओं को ट्यूटोरियल, वीडियो और अध्ययन सामग्री सहित विभिन्न ऑफ़लाइन और ऑनलाइन संसाधनों तक निःशुल्क पहुंच प्राप्त होती है। उड़ान में 60 निर्दिष्ट शहरी केंद्रों पर वर्चुअल संपर्क कक्षाएं हैं और कक्षा से परे सीखने की सुविधा के लिए प्री-लोडेड टैबलेट प्रदान किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, विद्यार्थियों को प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ओरिएंटेशन सत्र, रचनात्मक प्रतिक्रिया के लिए अनुकूलित मूल्यांकन, उपचारात्मक सहायता, विद्यार्थियों के एक-दूसरे से सीखने के अवसर तथा छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए प्रेरक सत्रों से लाभ होता है। एक समर्पित विद्यार्थी हेल्पलाइन डाउट्स को क्लीयर करने और प्रगति की निगरानी करने में सहायता प्रदान करती है और सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक प्रतिभागी को अपनी इंजीनियरिंग में दाखिले की तैयारी में सफल होने के लिए आवश्यक सहायता मिले।
माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना
मई 2008 में शुरू की गई माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई) का उद्देश्य लड़कियों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों की लड़कियों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ाना है। अब राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) में एकीकृत यह योजना इन लड़कियों के नामांकन को बढ़ावा देने और बीच में पढ़ाई छोड़ने की दर को कम करने पर ध्यान केंद्रित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि वे कम से कम 18 वर्ष की आयु तक स्कूल में रहें। यह योजना पात्र अविवाहित लड़कियों को कक्षा आठवीं सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के बाद कक्षा IX में नामांकन पर सावधि जमा खाते में 3,000 रुपये जमा करके वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। यह पहल एससी/एसटी पृष्ठभूमि की सभी लड़कियों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की लड़कियों को लक्षित करती है, चाहे वे किसी भी जाति की हों और जो सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में दाखिला लेती हैं। आर्थिक बाधाओं को दूर करके और एक सक्षम माहौल को बढ़ावा देकर, यह योजना शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाने का प्रयास करती है, जो अंततः उनके दीर्घकालिक व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में योगदान देती है।
एनएसआईजीएसई को अब इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल में एकीकृत कर दिया गया है। इस पोर्टल का उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में छात्रवृत्ति के वितरण को सुव्यवस्थित और तेज़ करना है, जिससे इस प्रक्रिया में दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष
22 सितंबर लड़कियों के योगदान का जश्न मनाने और उनके सशक्तिकरण की वकालत करने के लिए एक महत्वपूर्ण याद दिलाने वाला दिन है। देश में, केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई कई पहलें बेटियों के उत्थान और विकास के लिए, उनके अवसरों को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों का उदाहरण हैं। ये कार्यक्रम न केवल समाज में लड़कियों के महत्व को मान्यता प्रदान करते हैं, बल्कि उनका उद्देश्य एक सहायता प्रदान करने वाला वातावरण बनाना भी है, जो उनकी क्षमताओं को बढ़ावा दे।
*****