प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लगभग 1,560 करोड़ रुपये की लागत वाली 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया: मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग 360 करोड़ रुपये की लागत से पोत संचार एवं सहायता प्रणाली का राष्ट्रीय स्तर पर शुभारंभ किया
श्री नरेंद्र मोदी ने मछुआरा लाभार्थियों को ट्रांसपोंडर सेट और किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए
इन योजनाओं से अप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष रूप से लगभग 5 लाख 25 हज़ार लोगों को रोजगार मिलेगा: राजीव रंजन सिंह
मछुआरों को मुफ्त में ट्रांसपोंडर दिया जाएगा, ट्रांसपोंडर सिस्टम पूरे मछली उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम करेगा: राजीव रंजन सिंह
मछली उत्पादन से आने वाले समय में एक लाख करोड़ रुपए तक का निर्यात पूरी दुनिया को: राजीव रंजन सिंह
नई दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के पालघर में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। आज की परियोजनाओं में लगभग 1,560 करोड़ रुपये की लागत वाली 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास शामिल है। श्री मोदी ने लगभग 360 करोड़ रुपये की लागत से पोत संचार और सहायता प्रणाली के राष्ट्रीय रोलआउट का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने मछली पकड़ने की बंदरगाहों, मछली लैंडिंग केंद्रों और मछली बाजारों के निर्माण के विकास, उन्नयन और आधुनिकीकरण सहित महत्वपूर्ण मत्स्य अवसंरचना परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। उन्होंने मछुआरों के लाभार्थियों को ट्रांसपोंडर सेट और किसान क्रेडिट कार्ड सौंपे।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब समुद्र से जुड़े अवसरों की बात आती है तो भारत का मछुआरा समुदाय सबसे महत्वपूर्ण भागीदार है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लाभार्थियों के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में सरकारी योजनाओं और सेवा की भावना के कारण इस क्षेत्र में हुए परिवर्तन पर प्रकाश डाला। यह बताते हुए कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में देश में 80 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ था जबकि आज 170 लाख टन मछली का उत्पादन होता है। उन्होंने कहा , महज 10 वर्षों में मछली उत्पादन दोगुना हो गया है। उन्होंने भारत के बढ़ते समुद्री खाद्य निर्यात का भी उल्लेख किया और दस साल पहले 20 हजार करोड़ रुपये से कम की तुलना में आज 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के झींगा निर्यात का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, झींगा निर्यात भी आज दोगुने से अधिक हो गया है। उन्होंने इसकी सफलता का श्रेय नीली क्रांति योजना को दिया जिसने लाखों नए रोजगार अवसर पैदा करने में मदद की।
मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत हजारों महिलाओं की सहायता करने का उल्लेख किया। उन्होंने उन्नत तकनीकों और उपग्रहों के बारे में बात की और आज वेसल कम्युनिकेशन सिस्टम के शुभारंभ का उल्लेख किया जो मछुआरा समुदाय के लिए वरदान साबित होगा। श्री मोदी ने घोषणा की कि सरकार मछुआरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले जहाजों पर 1 लाख ट्रांसपोंडर लगाने की योजना बना रही है ताकि वे अपने परिवारों, नाव मालिकों, मत्स्य विभाग और तट रक्षकों के साथ निर्बाध संपर्क स्थापित कर सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे मछुआरों को उपग्रहों की मदद से आपातकाल, चक्रवात या किसी भी अप्रिय घटना के समय संवाद करने में मदद मिलेगी। उन्होंने आश्वासन दिया, किसी भी आपातकाल के दौरान जान बचाना सरकार की प्राथमिकता है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि मछुआरों के जहाजों की सुरक्षित वापसी के लिए 110 से अधिक मछली पकड़ने के बंदरगाह और लैंडिंग सेंटर बनाए जा रहे हैं। कोल्ड चेन, प्रसंस्करण सुविधाओं, नावों के लिए ऋण योजनाओं और पीएम मत्स्य संपदा योजना का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार तटीय गांवों के विकास पर अधिक ध्यान दे रही है जबकि मछुआरों के सरकारी संगठनों को भी मजबूत किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार ने हमेशा पिछड़े वर्गों के लिए काम किया है। श्री मोदी ने कहा कि यह हमारी सरकार ही है जिसने मछुआरों और आदिवासी समुदायों दोनों के लिए अलग - अलग मंत्रालय बनाए। आज उपेक्षित आदिवासी क्षेत्र पीएम जनमन योजना का लाभ उठा रहे हैं और हमारे आदिवासी और मछुआरे समुदाय हमारे देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं।
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से अप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष रूप से लगभग 5 लाख 25 हज़ार लोगों को रोजगार मिलेगा। श्री राजीव रंजन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना है कि 2047 तक हम विकसित भारत बनाएंगे और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मत्स्य विभाग व पशु पालन विभाग पूरी दृढ़ता के साथ काम कर रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में मछली का उत्पादन दोगुना हो गया है। 2013-14 तक मात्र 95.79 लाख टन का मछली उत्पादन होता था। 2022-23 में 175.45 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ है जो कि 2013-14 के मुकाबले में दोगुना है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मछली का निर्यात भी बढ़ा है 2013-14 में मात्र 30,213 करोड़ रुपए का निर्यात होता था वह अब बढ़कर 60,523 करोड़ रूपये का निर्यात हुआ है। विश्व के 123 देश भारत से मछली लेते हैं और उसमें सबसे बड़ा देश यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका है जोकि हमारा सबसे बड़ा बाजार है।
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज देश में विकसित ट्रांसपोंडर को लांच किया जोकि वेसल में मौजूद मछुआरों को मुफ्त में ये दिया जाएगा जोकि किसी भी एंड्रॉयड फोन के साथ जुड़ सकता है। उन्होंने कहा कि इस ट्रांसपोंडर सिस्टम के द्वारा 6 सेटेलाइट के माध्यम से अपने परिवार के साथ मछुआरे जुड़ जायेंगे और अपने परिवार के साथ संपर्क कर सकेंगे। इस ट्रांसपोंडर के माध्यम से मछुआरों को यह सूचना दी जाएगी कि समुद्र के किस इलाके में ज्यादा मछली उपलब्ध है ताकि मछुआरों और वेसलस को दूर तक भटकना न पड़े और वहीं जाकर वे फिशिंग कर सकेंगे जिससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि इस ट्रांसपोंडर के माध्यम से मछुआरों को समुद्र में आने वाले खतरों के बारे में सूचना दी जाएगी। साथ ही, समुद्री सीमा को पार करने से पहले ही अगाह भी किया जायेगा। ट्रांसपोंडर सिस्टम पूरे मछली उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम करेगा। श्री रंजन ने कहा कि मछली उत्पादन से जुड़े लोगों को प्रधानमंत्री ने सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान की है। सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रधानमन्त्री ने बीमा से जोड़कर सुरक्षा प्रदान की। कोई भी मछुआरा अगर किसी दुर्घटना में मारा जाता है तो उसको 5 लाख रूपए, घायल होने पर ढाई लाख रुपए, किसी का अगर अस्पताल में इलाज चल रहा है तो उसे 50 से 25 हजार रुपए की बीमा के माध्यम से सहायता मिलती है। किसानों और मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा है। आज किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मछली का उत्पादन बढ़ रहा है और आने वाले समय में इतना उत्पादन होगा कि हम एक लाख करोड़ रुपए तक निर्यात पूरी दुनिया में कर पाएंगे।
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