समझिये धागों से बंधे 'रक्षा बंधन' के मायने : प्रियंका 'सौरभ'
राखी के त्योहार का मतलब केवल बहन की दूसरों से रक्षा करना ही नहीं होता है बल्कि उसके अधिकारो और सपनों की रक्षा करना भी भाई का कर्तव्य होता है, लेकिन क्या सही मायनों में बहन की रक्षा हो पाती है।
आज के समय में राखी के दायित्वों की रक्षा करना बेहद आवश्यक हो गया है। अगर इस पवित्र दिन अपनी बहन के साथ दुनिया की हर लड़की की रक्षा का वचन लिया जाए तो सही मायनों में इस त्योहार का उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा।
हिसार (हरियाणा): डॉ. प्रियंका 'सौरभ', रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार ने 'रक्षाबंधन' के अवसर पर विशेष प्रस्तुति में "समझिये धागों से बंधे 'रक्षा बंधन' के मायने" शीर्षक से लिखा है कि, भाई-बहन का रिश्ता दुनिया के सभी रिश्तों में सबसे ऊपर है। हो भी न क्यों, भाई-बहन दुनिया के सच्चे मित्र और एक-दूसरे के मार्गदर्शक होते है। जब बहन शादी करके ससुराल चली जाती है और भाई नौकरी के लिए घर छोड़कर किसी दूसरे शहर चला जाता है तब महसूस होता है कि भाई-बहन का ये सर्वोत्तम रिश्ता कितना अनमोल है। सरहद पर खड़ा एक सैनिक भाई अपनी बहन को कितना याद करता है और बहनों की ऐसे वक़्त क्या दशा होती है इसके लिए शब्द नहीं है। रंग-बिरंगे धागे से बंधा ये पवित्र बंधन सदियों पहले से हमारी संस्कृति से बहुत ही गहराई के साथ जुड़ा हैं। यह पर्व उस अनमोल प्रेम का, भावनाओं का बंधन है जो भाई को सिर्फ अपनी बहन की नहीं बल्कि दुनिया की हर लड़की की रक्षा करने हेतु वचनबद्ध करता है। भाई-बहन के आपसी अपनत्व, स्नेह और कर्तव्य बंधन से जुड़ा त्योहार भाई-बहन के रिश्ते में नवीन ऊर्जा और मजबूती का प्रवाह करता है। बहनें इस दिन बहुत ही उत्साह के साथ अपने भाई की कलाई में राखी बांधने के लिए आतुर रहती हैं। जहां यह त्योहार बहन के लिए भाई के प्रति स्नेह को दर्शाता है तो वहीं यह भाई को उसके कर्तव्यों का बोध कराता है।
चिठ्ठी लाई गाँव से, जब राखी उपहार ।
आँसूं छलके आँख से, देख बहन का प्यार ।।
रक्षा बंधन प्रेम का, हृदय का त्योहार ।
इसमें बसती द्रौपदी, है कान्हा का प्यार ।।
कहती हमसे राखियाँ, तुच्छ है सभी स्वार्थ ।
बहनों की शुभकामना, तुम्हें करे सिद्धार्थ ।।
भाई-बहना नेह के,रिश्तों के आधार ।
इस धागे के सामने, सब कुछ है बेकार ।।
बहना मूरत प्यार की, मांगे ये वरदान ।
भाई को यश-बल मिले, लोग करे गुणगान ।।
सब बहनों पर यदि करे, मन से सच्चा गर्व ।
होता तब ही मानिये, रक्षा बंधन पर्व ।।
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