सावन में खुशियों के बीज, बोने आती हरियाली तीज: डॉ. प्रियंका 'सौरभ' & डॉ. सत्यवान सौरभ
श्रावण का महीना महिलाओं के लिए विशेष उल्लास का महीना होता है। इस महीने में आने वाले अधिकांश लोक पर्व महिलाओं द्वारा ही मनाए जाते हैं।
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को श्रावणी तीज कहते हैं। इसे हरितालिका तीज भी कहते हैं।
जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। श्रावण के महिने में चारों ओर हरियाली की चादर सी बिखर जाती है। जिसे देख कर सबका मन झूम उठता है।
सावन का महिना एक अलग ही मस्ती और उमंग लेकर आता है। श्रावण के सुहावने मौसम के मध्य में आता है तीज का त्यौहार।
हिसार (हरियाणा): डॉ. प्रियंका 'सौरभ' ने सावन के विशेष उत्सव - "हरियाली तीज" के अवसर पर प्रस्तुत विशेष प्रस्तुति में कहा कि, हरियाली तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। मुख्यत: यह स्त्रियों का त्योहार है।
उन्होंने बताया कि, इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते हैं। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को श्रावणी तीज कहते हैं। इसे हरितालिका तीज भी कहते हैं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है।
डॉ. प्रियंका 'सौरभ' ने बताया कि, श्रावण के महिने में चारों ओर हरियाली की चादर सी बिखर जाती है। जिसे देख कर सबका मन झूम उठता है। सावन का महिना एक अलग ही मस्ती और उमंग लेकर आता है। श्रावण के सुहावने मौसम के मध्य में आता है तीज का त्यौहार। स्त्रियां अपने हाथों पर त्योहार विशेष को ध्यान में रखते हुए भिन्न-भिन्न प्रकार की मेहंदी लगाती हैं। मेहंदी रचे हाथों से जब वह झूले की रस्सी पकड़ कर झूला झूलती हैं तो यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी लगता है, मानो सुहागिन आकाश को छूने चली हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां सुहागी पकडक़र सास के पांव छूकर उन्हें देती हैं। यदि सास न हो तो स्वयं से बड़ों को अर्थात जेठानी या किसी वृद्धा को देती हैं। इस दिन कहीं-कहीं स्त्रियां पैरों में आलता भी लगाती हैं जो सुहाग का चिह्न माना जाता है। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। वास्तव में देखा जाए तो हरियाली तीज कोई धार्मिक त्योहार नहीं वरन महिलाओं के लिए एकत्र होने का एक उत्सव है। नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के पश्चात पडऩे वाले पहले सावन के त्योहार का विशेष महत्त्व होता है।
डॉ. सत्यवान सौरभ ने सावन के विशेष उत्सव - "हरियाली तीज" के अवसर पर विशेष प्रस्तुति में एक गीत प्रस्तुत किया:
हरियाली तीज
सावन में है तीज का, एक अलग उल्लास |
प्रेम रंग में भीग कर, कहती जीवन खास ||
जैसे सावन में सदा, होती खूब बहार |
ऐसे ही हर घर सदा, मने तीज त्योहार ||
हाथों में मेंहदी रची, महक रहा है प्यार |
चूड़ी, पायल, करधनी, गोरी के श्रृंगार ||
उत्सव, पर्व, समारोह है, ये हरियाली तीज |
आती है हर साल ये, बोने खुशियां बीज ||
अगर हमीं बोते रहे, राग- द्वेष के बीज |
होंगे फीके प्रेम बिन, सावन हो या तीज ||
बोए मिलकर हम सभी, अगर प्रेम के बीज |
रहे न चिन्ता दुख कभी, हर दिन होगी तीज ||
प्यार-प्रेम सिंचित करें, हृदय यूं दे बीज |
हरी-भरी हो जिंदगी, तभी सफल हो तीज ||
भावहीन अब हो रहे, सभी तीज त्यौहार |
लगे प्यार के बीज यदि, मिटे दिलों की रार ||
सावन झूले हैं कहाँ, और कहाँ है तीज |
मन में भरे कलेश के, सबके काले बीज ||
मन को ऐसे रंग लें, भर दें ऐसा प्यार |
हर पल हर दिन ही रहे, सावन का त्यौहार ||
डॉ. प्रियंका 'सौरभ' & डॉ. सत्यवान सौरभ
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