4. कैबिनेट ने एआई नवाचार इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए महत्वाकांक्षी इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी
एआई नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 10,000 जीपीयू या उससे ज्यादा का सार्वजनिक एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया जाएगा
स्वदेशी बुनियादी मॉडलों के विकास में निवेश होगा
एआई स्टार्टअप के शुरुआती आइडिया से लेकर व्यावसायीकरण तक की फंडिंग को इंडिया एआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग सक्षम करेगी
सुरक्षित, भरोसेमंद और नैतिक एआई के विकास और तैनाती के लिए स्वदेशी उपकरणों का विकास
नई दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री - नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने "मेकिंग एआई इन इंडिया" और "मेकिंग एआई वर्क इन इंडिया" के विज़न पर चलते हुए 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ राष्ट्रीय स्तर के बेहद व्यापक इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दे दी है।
ये इंडिया एआई मिशन, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में रणनीतिक कार्यक्रमों और साझेदारी के जरिए एआई नवाचार को उत्प्रेरित करने वाला एक बड़ा इकोसिस्टम स्थापित करेगा। कंप्यूटिंग तक पहुंच के लोकतंत्रीकरण, डेटा गुणवत्ता में सुधार, स्वदेशी एआई क्षमताओं के विकास, टॉप एआई टैलेंट को लुभाने, इंडस्ट्री के सहयोग को सक्षम करने, स्टार्टअप जोखिम पूंजी प्रदान करने, सामाजिक रूप से प्रभावशाली एआई परियोजनाओं को सुनिश्चित करने और नैतिक एआई को मजबूत करने से भारत के एआई इकोसिस्टम के जिम्मेदार, समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
इस मिशन को डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (डीआईसी) के अंतर्गत 'इंडिया एआई' इंडिपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (आईबीडी) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा और इसमें निम्नलिखित घटक होंगे:
- इंडिया एआई कंप्यूट क्षमता - इंडिया एआई का ये कंप्यूटिंग वाला स्तंभ भारत के तेजी से बढ़ते एआई स्टार्ट-अप और रिसर्च इकोसिस्टम की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए एक उच्च-स्तरीय विस्तार योग्य एआई कंप्यूटिंग इकोसिस्टम का निर्माण करेगा। इस इकोसिस्टम में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए निर्मित 10,000 या उससे ज्यादा ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) का एआई कंप्यूट बुनियादी ढांचा शामिल होगा। इसके अलावा, एक एआई बाजार डिजाइन किया जाएगा जो एआई इनोवेटर्स को एक सेवा और पूर्व-प्रशिक्षित मॉडलों के रूप में एआई की पेशकश करेगा। ये एआई नवाचार के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों का एकल बिंदु समाधान भी होगा।
- इंडिया एआई नवाचार केंद्र - इंडिया एआई इनोवेशन सेंटर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वदेश में निर्मित बड़े मल्टीमोडल मॉडलों (एलएमएम) और डोमेन-विशिष्ट बुनियादी मॉडल के विकास और तैनाती का काम करेगा।
- इंडिया एआई डेटासेट मंच - इंडिया एआई डेटासेट मंच एआई नवाचार के लिए गुणवत्ता वाले गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक पहुंच को सुगम करेगा। भारतीय स्टार्टअपों और शोधकर्ताओं की गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक बेरोक पहुंच के लिए वन-स्टॉप समाधान प्रदान करने के लिए एक एकीकृत डेटा प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया जाएगा।
- इंडिया एआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव - इंडिया एआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट की पहल केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य विभागों और अन्य संस्थानों से प्राप्त समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा। ये पहल बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक बदलाव को उत्प्रेरित करने की क्षमता वाले प्रभावशाली एआई समाधानों को विकसित करने/बढ़ाने/अपनाने को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
- इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स - इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स की कल्पना एआई प्रोग्रामों में प्रवेश संबंधी बाधाओं को कम करने के लिए की गई है। ये स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर और पीएचडी की पढ़ाई में एआई पाठ्यक्रमों को बढ़ाएगी। इसके अलावा, बुनियादी स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए पूरे भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों में डेटा और एआई लैब्स स्थापित की जाएंगी।
- इंडिया एआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग - इंडिया एआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग के स्तंभ की परिकल्पना डीप-टेक एआई स्टार्टअप को समर्थन और गति देने और उन्हें भविष्य की एआई परियोजनाओं के लिए फंडिंग तक सुगम पहुंच प्रदान करने के लिए की गई है।
- सुरक्षित और भरोसेमंद एआई - एआई के जिम्मेदारी भरे विकास, तैनाती और उसे अपनाए जाने के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सजगता की जरूरत को पहचानते हुए, सुरक्षित और भरोसेमंद एआई का ये स्तंभ जिम्मेदारी भरी एआई परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सक्षम करेगा जिनमें स्वदेशी उपकरणों और ढांचे का विकास, नवप्रवर्तकों के लिए आत्म-मूल्यांकन के बिंदु, अन्य दिशानिर्देश और गवर्नेंस फ्रेमवर्क शामिल हैं।
यह अनुमोदित इंडिया एआई मिशन भारत की तकनीकी संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए नवाचार को बढ़ावा देगा और घरेलू क्षमताओं का निर्माण करेगा। ये देश के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने के लिए बेहद कुशल रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। इंडिया एआई मिशन की मदद से भारत दुनिया को यह दिखला देगा कि इस परिवर्तनकारी तकनीक का उपयोग सामाजिक भलाई के लिए कैसे किया जा सकता है और इसकी वैश्विक स्पर्धात्मकता को बढ़ाया जा सकता है।
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