कोविड-19 का मुकाबला करने में भारत की पहल: विज्ञानं और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सीएसआईआर ने ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस से पीड़ित गंभीर रूप से बीमार रोगियों का जीवन बचाने के लिए दवा विकसित करने के प्रयासों में दिया है सहयोग सीएसआईआर गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 संक्रमित रोगियों की मृत्यु दर घटाने के लिए दवा के प्रभाव का मूल्यांकन करने हेतु कॉम्परेटर नियंत्रित नैदानिक परीक्षण शुरू कर रहा है भारतीय औषधि महानियंत्रक ने इस परीक्षण को मंजूरी दे दी है और अब यह जल्दी ही कई अस्पतालों में शुरु हो जाएगा यह रोगियों के लिए बेहद सुरक्षित पाया गया है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता.
नई-दिल्ली (PIB):
वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) ने अपने प्रमुख न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशिएटिव (एनएमआईटीएलआई) कार्यक्रम के माध्यम से, ग्राम नेगेटिव सेप्सिस से पीड़ित गंभीर रूप से बीमार रोगियों को बचाने के लिए एक दवा विकसित करने के काम में 2007 से,कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के साथ सहयोग किया है।
दवा विकसित करने की समूची प्रक्रिया (पूर्व-नैदानिक और नैदानिक अध्ययन) की निगरानी सीएसआईआर द्वारा नियुक्त निगरानी समिति द्वारा की गई है। ऐसा माना जा रहा है कि यह दवा गंभीर रूप से बीमार रोगियों की मृत्यु दर आधी से भी कम कर देगी। यह गंभीर रोगियों में अंगो की शिथिलता को भी तेजी से ठीक कर सकती है। इस दवा को अब भारत में बेचे जाने की अनुमति मिल गई है। जल्दी ही यह बाजार में कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा व्यावसायिक रूप से सेप्सिवाक के नाम से मिलने लगेगी।
यह हम सभी के लिए गर्व करने का अवसर है, क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद ग्राम नेगेटिव सेप्सिस से पीड़ित लोगों की मृत्यु दर घटाने के प्रभावी उपाय के रूप में पूरे विश्व में किसी दवा को आज तक मंजूरी नहीं दी गई थी।
ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस के साथ-साथ गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 के रोगियों के शरीर में एक परिवर्तित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है, जो उनके साइटोकाइन प्रोफाइल में बड़े पैमाने पर परिवर्तन का कारण बनता है। नई खोजी गई दवा शरीर की इस प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करती है जिससे साइटोकाइन प्रोफाइल में होने वाली उग्र उथल पुथल थम जाती है जिससे उसके मरने का खतरा कम हो जाता और उसकी हालत में तेज सुधार होने लगता है।
कोविड-19 और ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस, से पीड़ित रोगियों के बीच नैदानिक विशेषताओं की समानता को देखते हुए, सीएसआईआर ने ऐसे रोगियों की मृत्यु दर में कमी लाने के लिए नई खोजी गई दवा के प्रभाव का मूल्यांकन करने हेतु कॉम्परेटर नियंत्रित नैदानिक परीक्षण शुरू कर दिया है। भारतीय औषध महानियंत्रक ने इस परीक्षण को मंजूरी दे दी है और अब यह जल्दी ही कई अस्पतालों में शुरु हो जाएगा।
दवा में उष्मा से निष्क्रिय किए गए माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू शामिल हैं। यह रोगियों के लिए बेहद सुरक्षित पाया गया है और इसके उपयोग में किसी तरह का कोई प्रणालीगत दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसके अद्वितीय गुणों में सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा (टीएच वन , टीएलआर टू एगोनिस्ट) को बढ़ावा देना और गैर-सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया (टीएच टू) को बाधित करना शामिल है।
उपरोक्त जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी की गयी है।
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