आयुध अधिनियम, 1959 मे जारी अधिसूचना तथा आयुध नियम, 2016 मे किए बदलाव के अनुसार खिलाडियों द्वारा रखे जा सकने वाले अग्नायुधों में काफी बढोतरी: गृह मंत्रालय
नई-दिल्ली: गृह मंत्रालय ने 24 फ़रवरी (सोमवार) को विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि, शूटिंग भारत में एक महत्वपूर्ण ओलंपिक खेल है। भारतीय निशानेबाजो नें अंतराष्ट्रीय स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इसे ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय ने आयुध अधिनियम, 1959 के अंतर्गत जारी अधिसूचना के तहत भारतीय निशानेबाज़ो को अभ्यास के लिए अब पर्याप्त मात्रा में अग्नायुधों तथा गोला बारूद की पहुँच होगी। गृह मंत्रालय ने दिनांक 12 फरवरी 2020 को आयुध अधिनियम, 1959 मे जारी अधिसूचना तथा आयुध नियम, 2016 मे किए बदलाव के अनुसार खिलाडियों के द्वारा रखे जा सकने वाले अग्नायुधों तथा वर्ष के दौरान तय की गयी गोला बारुद की मात्रा में काफी बढोतरी की गई है। इससे उनके शस्त्र अभ्यास में अत्याधिक सुविधा होगी।
नए नियमों के अनुसार अब अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता/विख्यात निशानेबाज को कुल बारह तक अतिरिक्त शस्त्र रखने की रियायत दी है जो पहले सात थी। यदि कोई निशानेबाज एक प्रतियोगिता में विख्यात है तो उसे अधिकतम आठ (पहले चार थी), यदि कोई निशानेबाज दो प्रतियोगिताओं में विख्यात है तो उसे अधिकतम दस (पहले सात थी) और यदि कोई निशानेबाज दो से अधिक प्रतियोगिताओं में विख्यात है तो उसे अधिकतम बारह (पहले सात थी) शस्त्र रखने की रियायत दी है। कनिष्ठ लक्ष्य/महत्वाकांक्षी निशानेबाज को अब किसी भी वर्ग के दो (पहले एक शस्त्र की थी) शस्त्र रखने की रियायत दी है। इस प्रावधान के उपरान्त खिलाड़ी तरह तरह के शस्त्रों से अभ्यास कर सकेंगे। इन रियायत वर्गों के शस्त्रों के अतिरिक्त भी खिलाड़ी दो शस्त्र आयुध अधिनियम, 1959 के अंतर्गत बतौर एक सामान्य नागरिक रख सकते हैं।
इसी तरह आयुध नियम - 40 में किए बदलाव के अनुसार खिलाडियों को अभ्यास के लिये वर्ष के दौरान क्रय की जा सकने वाली गोला बारूद की मात्रा में भी भारी बढोतरी की है। नए नियमों के अनुसार अब .22 LR राइफल / पिस्तौल के लिए 1000 के स्थान पर 5000, दूसरी तरह की पिस्तौल /रिवाल्वर के लिए 600 के स्थान पर 2000 तथा शॉटगन कैलिबर के लिए 500 के स्थान पर 5000 गोला बारूद की मात्रा खरीदी जा सकती है।
इसके अतिरिक्त गृह मंत्रालय ने आयुध अधिनियम, 1959 में आयुध अधिनियम (संशोधन), 2019 के तहत किये संशोधनों के कारण आयुध नियम, 2016 में अन्य ज़रूरी संशोधन भी किए हैं। इन संशोधनों के तहत यह भी स्पष्ट किया है कि भारतीय नागरिकों को 50 साल से पुराने दुर्लभ वस्तु की श्रेणी में आने वाले लघु आयुधों के अर्जन अथवा कब्जे के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। परंतु ऐसे आयुधों के उपयोग, वहन या परिवहन के लिए उपयुक्त लाइसेंस की आवश्यकता होगी। इस तरह के आवश्यक लाइसेंस में प्रविष्टि के बिना धारक को उनके उपयोग हेतु गोला-बारूद की बिक्री नहीं की जाएगी।
ज्ञात हो कि आयुध (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा किए गये संशोधन के तहत किसी व्यक्ति द्वारा रखे जाने वाले अग्नायुधों की अधिकतम संख्या को तीन से घटाकर दो कर दिया गया है। जिन व्यक्तियों के पास लाइसेंस पर तीन अग्नायुध है उन्हें अपना कोई भी एक अग्नायुध 13.12.2020 तक अधिनियम में दिए गये प्रावधान के अनुसार जमा करने की सुविधा दी गयी है।
(फोटो साभार- मल्टीमीडिया)
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