भारत शांतिप्रिय देश लेकिन आतंकवाद के सभी स्वरूपों का मुकाबला करने के लिए संकल्पबद्ध: उपराष्ट्रपति
हमें आर्थिक प्रगति को समावेशी और सतत विकास में परिवर्तित करने की जरूरत है घाना, गिनी और लेसोथो के नेताओं के साथ संवाद
नई-दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम• वेंकैया नायडू ने आज जोर देकर कहा कि भारत शांतिप्रिय देश है, लेकिन आतंकवाद के सभी स्वरूपों और आयामों का मुकाबला करने के लिए संकल्पबद्ध है।
वह आज यहां अपने आवास पर घाना के उपराष्ट्रपति डॉ• महमूदु बावुमिया, गिनी के प्रधानमंत्री डॉ• इब्राहिमा कासोरी फोफाना और लेसोथो के उपप्रधानमंत्री श्री मोनयाने मोलेलेकी से बातचीत कर रहे थे।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति की पत्नी श्रीमती उषा नायडू तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने अंग वस्त्रम के साथ गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और श्रीमती उषा नायडू ने आवास पर पधारे गणमान्य अतिथियों की पत्नियों को पारंपरिक शॉल भेंट की।
उपराष्ट्रपति की ओर से आयोजित दोपहर के भोज के दौरान बैठक में नेताओं ने भारत के साथ अपने देशों के पारंपरिक रूप से घनिष्ठ संबंधों पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सहज सम्मान, लोकतंत्र तथा कानून के शासन के साझा दृष्टिकोण और मूल्यों से प्रेरित हैं।
श्री नायडू ने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि देशों के बीच मजबूत आर्थिक सहयोग मौजूद है और सभी देश तेज गति से प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश में प्राकृतिक, वित्तीय और मानव संसाधन मौजूद हैं और हमें साझेदारी के माध्यम से अपने भौतिक संसाधनों का उपयोग करना है, मानव संसाधनों को समृद्ध करना है और अपनी अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव लाना है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सम्मेलन की स्थापना के लिए पिछले साल घाना के राष्ट्रपति की भारत यात्रा; भारत के राष्ट्रपति की 2016 की घाना यात्रा; गिनी के राष्ट्रपति की 2015 की भारत यात्रा; लेसोथो के सम्राट लेत्सेई-तृतीय की दिसम्बर 2017 की यात्रा और लेसोथो के प्रधानमंत्री की 2018 की यात्रा सहित भारत और इन देशों के बीच कई उच्च स्तरीय यात्राओं को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने इच्छा व्यक्त की कि ये यात्राएं हमारे परस्पर संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएं और इनका सिलसिला जारी रहे। इस संबंध में उन्होंने इस साल में लेसोथो में अपनी राजकीय यात्रा की संभावना का भी उल्लेख किया।
उपराष्ट्रपति ने घाना तथा लेसोथो के साथ शुरू की गई कुछ संयुक्त परियोजनाओं का काम पूरा हो जाने पर खुशी जाहिर की। इन परियोजनाओं में 400 मिलियन अमरीकी डॉलर की लागत से तैयार टीमा-आकोसुम्बो रेलवे लाइन तथा 2.86 मिलियन डालर की लागत से बनाए गए भारत-घाना कोफी अन्नान केन्द्र शामिल है। घाना स्थित इस केन्द्र में 20,000 छात्रों को सूचना प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। ऐसे ही 2017 में भारत-लेसोथो केन्द्र की भी स्थापना की गई है। 2017 में शुरू हुए इस केन्द्र में भी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। उपराष्ट्रपति ने बिजली, अस्पतालों, परिवहन तथा टेलीमेडिसीन (ई-आरोग्य भारती) और डिजिटल शिक्षा (ई-विद्या भारती) के लिए गिनी सरकार को भारत की ओर से हरसंभव सहयोग जारी रखने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि इन देशों के साथ व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।
श्री नायडू ने उम्मीद जताई कि भारत अपने सहयोगी देशों घाना, गिनी और लेसोथो के साथ मिलकर आर्थिक विकास को समावेशी और टिकाऊ विकास में परिवर्तित कर पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने लोगों का जीवन सुधारने और शासन प्रक्रिया में आमूल बदलाव की भारत सरकार की प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया।
उपराष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय मंचों में भारत के लिए उनके समर्थन के लिए नेताओं को धन्यवाद दिया। इस संदर्भ में उन्होंने विशेष रूप से 2020-21 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अस्थायी सदस्यता, अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों में भारत की सदस्यता के मुद्दे का उल्लेख किया। उन्होंने इसके साथ ही भारत को सदस्य के रूप में शामिल करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को और ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति ने पुलवामा, क्राइस्टचर्च और यूट्रेक्ट की हालिया घटनाओं सहित दुनिया भर में आतंकवादी हिंसा के बढ़ते मामलों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है, लेकिन आतंकवाद के सभी स्वरूपों और आयामों का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस संदर्भ में भारत द्वारा हाल में आतंकवाद के खिलाफ किए गए हवाई हमलों का जिक्र किया।
घाना, लेसोथो और गिनी के नेताओं ने पुलवामा में हुए जघन्य हमले की भर्त्सना की और इसके जवाब में भारत द्वारा की गई कार्रवाई का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने उन्होंने आतंकवाद से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि अफ्रीकी संघ ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कदम उठाया है।
उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी के साथ गणमान्य अतिथियों और उनके प्रतिनिधिमंडलों के लिए अपने सरकारी आवास पर पारंपरिक भारतीय भोज का आयोजन किया।
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