अज्ञेय जयंती मनाई गई
संत कबीर नगर: कालजयी लेखक, साहित्यकार, पत्रकार, सम्पादक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" की जयंती प्रगतिशील सेवा संस्थान के तत्वाधान में मनाई गई।
इस अवसर पर बुद्धिजीवियों ने उनको शिद्दत से याद किया। लोगों ने अज्ञेय जी के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की। प्रभा देवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ• प्रमोद कुमार त्रिपाठी ने अज्ञेय जी के चित्र पर मल्यार्पण कर गोष्ठी का शुभारंभ किया तथा ष्शे "शेखर एक जीवनी" की चर्चा करते हुए अज्ञेय को अपने समय की परिधि से आगे निकलकर दूरगामी सोच रखने वाला साहित्यकार बताया। साथ ही अज्ञेय की प्रसिद्ध कविता "नदी के दीप" में निहित संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
पब्लिक इंटर कालेज, निघुरी के हिन्दी प्रवक्ता मो• सईद ने कहा कि अज्ञेय जी वस्तुत: प्रयोगवादी कवि थे। उन्हें प्रयोगवाद का जनक भी कहा जा सकता है। साहित्यिक सृजन के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
स्वतंत्र पत्रकार नवनीत मिश्र ने कहा कि, "अज्ञेय जी का जीवन और लेखन एक.दूसरे को प्रतिबिम्बित करता है। दोनों में कहीं बिखराव या अन्तर नहीं रहा। रेल की पटरी की तरह दोनों आरम्भ से अंत तक समानांतर चलते रहे। शुरू के विद्रोही अज्ञेय जी का जिस तरह बाद में आध्यात्मिक रूपांतरण होता है उसी तरह उनका लेखन "शेखर" से आरम्भ होकर ष्अ "असाध्य वीणा" और "मरुथल" तक जाते.जाते विराट चिंतन का रूप धारण करता है।
अध्यक्षता श्री मती अनसुईया सिंह ने किया तथा संचालन बी• एन• शर्मा ने किया। इस अवसर पर संस्थान के अनेक लोग उपस्थिति थे।
नवनीत मिश्र
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