दृष्टिकोण: शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन का पुनर्जागरण
लेखक- प्रयागराज में स्थित "सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के वार्नर कालेज आफ डेली टेक्नोलॉजी" के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एण्ड ट्रेक्टर- डा• शंकर सुवन सिंह की प्रस्तुति- "दृष्टिकोण"
व्यक्तित्व के धनी, लेखक व कुलपति (सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज, प्रयागराज)- माननीय प्रोफेसर- डॉ• राजेंद्र बिहारी लाल शैक्षिक कार्य में रुके नहीं, थके नहीं, अटल हो गए। अंततः कुलपति के पद पर आसीन हुए राजेंद्र बी• लाल सामाजिक समरसता, धार्मिक चिंतन और बाइबिल ब्याख्या के पर्याय हैं।
कुलपति होने के बावजूद, धार्मिक और सामाजिक कार्यों में रहकर समाज को दिशा देने का काम करते रहते हैं। जहाँ "जैसा नाम वैसा काम" वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। इससे स्पष्ट है कि परमेश्वर का पुत्र, समाज को अनुशासित व समाज को दिशा देने के लिए कार्य करेगा। परमेश्वर का पुत्र जो राज करे वो राजेंद्र बिहारी लाल। प्राचीन काल में गृह का मुखिया कुलप होता था। उसी प्रकार आधुनिक काल में शैक्षिक व्यवस्था में अनुशासन के अधिष्ठाता प्रोफेसर ;डॉ• राजेंद्र बिहारी लाल हैं। कुलप का अर्थ है जीवन में स्थायित्व का होना। उसी प्रकार प्रोफेसर- डा• राजेंद्र बिहारी लाल के जीवन में अनुशासन स्थाई है। प्रोफेसर डॉ• राजेंद्र बिहारी लाल ने अपने परमेश्वर की कृपा से सैम हिग्गिनबॉटम विश्वविद्यालय, नैनी, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) को ऊंचाई प्रदान की।
देश विदेश में सैम हिग्गिनबॉटम विश्वविद्यालय का शिक्षा के क्षेत्र में अहम् भूमिका है। प्रोफेसर डॉ• राजेंद्र बिहारी लाल ठहरे नहीं। ठहर गए होते, तो साम्प्रदायिक हो जाते। प्रोफेसर डॉ• राजेंद्र बिहारी लाल ने शिक्षा को सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखा प्रोफेसर डॉ• राजेंद्र बिहारी लाल सांस्कृतिक चेतना के शिखर पुरुष हैं। संस्कृति का दर्शन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। दर्शन जीवन का आधार है। दर्शन, बौद्धिक व मानसिक विकास में सहायक है, कवि व लेखक रामधारी सिंह दिनकर के अनुसार "संस्कृति जीवन जीने का तरीका है।" संस्कृति, संस्कार से बनती है। सभ्यता, नागरिकता से बनती है। प्रोफेसर डॉ• राजेंद्र बिहारी लाल संस्कृति रूपी आत्मा और सभ्यता रूपी शरीर धारण किये हुए हैं। संस्कार और नागरिकता, भारत की राष्ट्रीयता का मुख्य आधार है। ऐसी शिक्षा से राष्ट्र के विकास को बल मिलेगा।
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