विशेष: सम्बन्धों के लिये वरदान है आभासी दुनिया: अनिल कुमार श्रीवास्तव
डायलिसिस पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे स्वतंत्र भारत न्यूज़ के संवाददाता- अनिल कुमार श्रीवास्तव की विशेष प्रस्तुति:
आधुनिकता की इस भागमभाग जिंगदी में इंसान मशीन बन गया है। तमाम रिश्ते नाते व्यस्तता की बेदी पर चढ़ गए। पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे और इंसान के पास समय भी मगर विकास का ऐसा पहिया दौड़ा की इंसानी रिश्तों में दूरियां हो चली, संयुक्त परिवार एकाकी परिवार में सिमट गए। ऐसे में सामाजिक संचार क्रांति ने फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर जैसी साइट्स लाकर एक दूसरे से जुड़ने की सुविधा दी। समयाभाव के चलते दूर रहकर भी जुड़ने का वरदान देने वाली यह आभासी दुनिया इतना लोकप्रिय हुई कि देखते देखते समूचे भारत मे इसने तेजी से पॉव पसार लिए।
इसका सबसे बड़ा फायदा व्यस्त रहकर भी सम्बन्धों को जीवित रखने वाले लोगो, शारीरिक रूप से सक्रिय न रह पाने के बावजूद सम्बन्धों को तवज्जोह देने वाले लोगो को हुआ तो वही प्रचार प्रसार की इच्छा रखने वालों ने भरपूर लाभ उठाया। आभासी दुनिया मे अच्छी सोंच रखने वाले तमाम ऐसे लोग भी परस्पर जुड़ जाते हैं जिनके विचार एक दूसरे से मेल खाते हैं। कभी एक दूसरे से मिल नही पाये लेकिन विचारों की समानता से वशीभूत होकर परस्पर इतना नजदीक आ जाते हैं, जैसे सगे से भी बढ़ कर हो। यह बात दीगर है कि समय, बीमारी या अन्य कारणों से कभी मुलाकात न हो पाई हो लेकिन वैचारिक प्रवाह से नजदीकिया इस कदर बढ़ जाती है कि सारी समस्याओं को बेधते हुए परस्पर मुलाकात का भरकस प्रयास करते हैं। व्यापारी वर्ग इस डिजिटल युग मे अपने व्यापार के विकास के लिए इस दुनिया का प्रयोग कर अपने विचारों को रखता है।अधिकारी, शिक्षधर्मी, सहित्यधर्मी, नेता, अभिनेता, समाजसेवी कोई भी वर्ग इस आभासी दुनिया से अछूता नही है। सभी अपनी गतिविधियों को अपनी मित्रमाला के मोतियों व समाज मे साझा करने का महत्वपूर्ण साधन मान कर इस दुनिया मे सक्रिय हैं। इस आभासी दुनिया ने तो अन्य संचार माध्यमों की उपयोगिता कम करके जनमानस के मनपटल पर अमिट छाप छोड़ रखी है। दूर रहकर भी रिश्ते चलाने का महत्वपूर्ण माध्यम बना। यह सामाजिक संचार माध्यम अपने कार्यो को निपटाने के साथ सम्बन्धों को भी बड़ी आसानी से चलाता है।
इस माध्यम से कई ऐसे भूले व टूटे रिश्ते जुड़ रहे हैं जो पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुके थे। तमाम बचपन के मित्र मित्रता की जद में आ जाते हैं तो आंखों के सामने अविष्मरणीय पल नाच उठते हैं।कई ऐसे नए मित्र मिलते हैं जिनके विचार तो मिलते हैं लेकिन हकीकत में कभी रूबरू नही हुए।
इन सब के बावजूद चन्द कुंठित व आपराधिक प्रवत्ति के लोगो के चलते यह माध्यम असुरक्षित हो चला है। इसका उपयोग पुरुषों के साथ महिलाएं व बच्चे भी कर रहे हैं। कई बार मनचलों के दुस्साहसिक करतूते शर्मसार करती दिखती हैं। इस माध्यम को छुटभैया नेताओ ने तो सियासी अखाड़ा बना रखा है किसी मुद्दे को लेकर आरोप प्रत्यारोपो का दौर अक्सर जारी रहता है।
बदजुबानी ने तो हद पार कर रखी है सियासी पार्टियों के समर्थक गाली गलौच करते इस पटल पर सार्वजनिक देखे जा सकते हैं।किसी की छवि धूमिल करने के लिए चलचित्र व चित्र संदेशो का वार तो आम बात हो चला है। इतना ही नही लोग इस कदर एक दूसरे पर उंगली उठाते हैं कि जानी दुश्मन हो। इस माध्यम पर मौजूदा दौर देखकर लगता है कि साइबर सेल को और अधिक सक्रिय रहने की आवश्यकता है। स्वस्थ्य व स्वच्छ समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए बेहद जरूरी है कि सामाजिक संचार माध्यम पर संवाद स्वच्छता को बढ़ावा दिया जाय। इस आधुनिक युग मे समयाभाव के चलते बेहद जरूरी हो चुके इस पटल को संयुक्त परिवार मान कर अग्रजों को सम्मान व अनुजो को स्नेह दिया जाय। यहां पर लगभग सभी परिवार में लगभग सभी इसका इस्तेमाल करने लगे हैं, यह बात नही भूलनी चाहिए। अपनी बात जरूर रखी जाय लेकिन मर्यादित दायरे में रह कर।
इस आभासी दुनिया का शुक्रिया सभी को अदा करना चाहिए, जिनकी मित्रमाला अनमोल मोतियों से भर दी, जिनकी बात पटल तक पहुंचाने में सहायक हुई।
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