आयकर विभाग वसूल सकेगा 100 अरब रुपये!
मुम्बई: आयकर विभाग (आईटी) को उन कंपनियों से 100 अरब रुपये से अधिक की कर वसूली का अनुमान है जिन्हें पिछले साल के दौरान कंपनी पंजीयक के रिकॉर्ड से हटा दिया गया था।
कर विभाग ऐसी लगभग 50,000 कंपनियों के पंजीकरण बहाल करने के लिए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के समक्ष याचिका दायर करने की प्रक्रिया में है। कंपनी पंजीयक ने पाया था कि इन कंपनियों ने अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं और उसके बाद लगभग तीन लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर दिया था। इन कंपनियों के निदेशकों को किसी अन्य कंपनी में निदेशक की जिम्मेदारी संभालने से प्रतिबंधित कर दिया गया।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 31 अगस्त तक इन कंपनियों की पहचान करने, उन्हें बहाल करने के लिए याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है। बोर्ड ने कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) से यह भी कहा है कि वह पंचाट में पंजीकरण बहाली आवेदन का विरोध न करे क्योंकि ऐसा करने से इन कंपनियों के खिलाफ कर वसूली प्रक्रिया शुरू करने में बाधा पैदा होगी।
आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘इनमें से कई कंपनियों को तब तक अपने बैंक खाते, चल और अचल संपत्तियों में परिचालन करने से रोक दिया गया है जब तक कि इनकी बहाली नहीं हो जाती। पंजीकरण बहाली से ये कंपनियां कंपनीज ऐक्ट के तहत गोपनीय जानकारियों का खुलावा करने के लिए बाध्य होंगी और फिर उसके बाद कर वसूली के लिए कार्रवाई शुरू की जाएगी।’
कर उद्योग के जानकारों का भी मानना है कि बहाली इन कंपनियों से बकाया कर वसूलने के लिए जरूरी है। अशोक माहेश्वरी ऐंड एसोसिएट्स एलएलपी में पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘कर विभाग इन कंपनियों के खिलाफ अभियान चला रहा है क्योंकि कई मामलों में उन कर कर बकाया है। यह कर तभी वसूला जा सकता है जब कंपनी सक्रिय हो। इसके अलावा, ऐसे भी मामले हैं जिनमें पंजीकरण गंवा चुकी अच्छे इरादे वाली कंपनियां भी बकाया कर चुकाने में सक्षम नहीं होंगी।’
(साभार- बी.एस.)
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