बीसीसीआई के नए संविधान मसौदे को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी, लोढ़ा समिति के अहम सुझावों को किया नरम
नयी दिल्ली: नौ अगस्त को भाषा के अनुसार प्रशासकों की समिति के प्रमुख विनोद राय ने बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिये लगातार दो कार्यकाल के बाद एक निश्चित समय तक बाहर रहने की अनिवार्यता (कूलिंग ऑफ पीरियड) से संबंधित आदेश और बोर्ड के चुनावों के लिये मार्ग प्रशस्त करने का स्वागत किया।
लोढ़ा समिति के मूल सुधारों में तीन साल के एक कार्यकाल के बाद बाहर रहने की अनिवार्यता का प्रावधान था लेकिन आज के आदेश के बाद पदाधिकारी अब लगातार दो कार्यकाल के बाद एक निश्चित समय के लिये कोई पद नहीं संभाल पाएंगे।
राय ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह माननीय न्यायालय का उत्कृष्ट आदेश है। मुझे पदाधिकारियों के लगातार दो कार्यकाल पर कोई समस्या नहीं है। यहां तक कि मैं भी पहले चाहता था कि छह साल के कार्यकाल के बाद ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ शुरू हो लेकिन तब मुझे आम सहमति नहीं मिली थी।’’
राय ने कहा कि आज के फैसले का दूसरा सकारात्मक पहलू शीर्ष अदालत द्वारा बीसीसीआई संविधान को स्वीकार करने के लिये समयसीमा तय करना है जिससे बोर्ड के चुनावों के लिये भी रास्ता साफ होगा लेकिन इसके लिये राज्य संघों को इसका शत प्रतिशत पालन करना पड़ेगा।
उच्चतम न्यायालय ने आज राज्य संघों को बीसीसीआई का संविधान अपनाने या फिर उसका पालन नहीं करने पर कार्रवाई का सामना करने के लिये तैयार रहने की चेतावनी दी।
राय ने कहा, ‘‘अब आखिर में हमारे पास एक खाका है जो नये संविधान को अपनाने के लिये मार्ग प्रशस्त करेगा और फिर उसके बाद चुनाव होंगे। अब इसके लिये समयसीमा तय हो गयी है।’’
उन्होंने इस पर खुशी जतायी कि सभी मूल सदस्यों के मतदान अधिकार बरकरार रखे गये हैं।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने रेलवे, सेना और विश्वविद्यालयों को दी पूर्ण सदस्यता बहाल की तथा मुंबई, सौराष्ट्र, वड़ोदरा और विदर्भ के क्रिकेट संघों के पूर्ण सदस्यता प्रदान की। पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ भी शामिल थे।
राय ने कहा, ‘‘हम पहले भी कह चुके थे कि मुंबई जैसी इकाईयों के मतदान अधिकार बनाये रखे जाने चाहिए। मसौदा संविधान में भी इसका जिक्र है। प्रत्येक सदस्य इकाई के पास मतदान का अधिकार होना चाहिए।’’
सीओए की एक अन्य सदस्य डायना एडुल्जी ने भी नये आदेश का स्वागत किया।
एडुल्जी ने कहा, ‘‘हम फैसले से खुश हैं। हमें उच्चतम न्यायालय ने सुधारों पर निगरानी रखने के लिये नियुक्त किया था। अब न्यायालय ने अपने आदेश में संशोधन किया है और हमें यह देखना होगा कि इसे सही तरह से लागू किया जाए। मुझे उम्मीद है कि हर कोई इसका पालन करेगा और क्रिकेट आगे बढ़ेगा।’’
(साभार- भाषा)
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