लॉजिस्टिक उद्योग में अरबपति कंपनी बनने की राह पर रिविगो
नयी दिल्ली: मैकिंजी के पूर्व कार्यकारी दीपक गर्ग ने पाया कि भारतीय लॉजिस्टिक क्षेत्र में तकनीक का अभाव, डिलिवरी में देरी और ट्रक चालकों की खराब कार्यदशाएं जैसी खामियां हैं। उन्होंने एक नई यात्रा शुरू करने के लिए 9 साल काम करने के बाद 2014 में मैकिंजी छोड़ दी। लॉजिस्टिक क्षेत्र की इन खामियों को दूर करने के लिए रिविगो की स्थापना की गई। इसमें जल्द डिलिवरी के लिए तकनीक की मदद ली गई। कंपनी के मूल्यांकन के बारे में पूछा गया तो गर्ग ने कहा कि कागजी मूल्यांकन मायने नहीं रखता है। हालांकि धन जुटाने के पिछले चरण के आधार पर इस स्टार्टअप का मूल्य 90 करोड़ डॉलर होने का अनुमान है और जल्द ही 1 अरब डॉलर के आंकड़े पर पहुंच सकता है। इससे यह यूनिकॉर्न बन जाएगी। हालांकि गर्ग इन आंकड़ों को ज्यादा अहम नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं जिंदा रहने तक इस कंपनी को चलाऊंगा...यह एक लंबी यात्रा है।’
बहुत से ट्रक चालकों को सुधारना अहम हैं क्योंकि ट्रक चालकों की दूसरी पीढ़ी इसी पेशे में नहीं रहना चाहते हैं। हाल के वर्षों में बहुत से चालक अपनी नौकरी छोडक़र उबर और ओला से जुड़े हैं। अनुमान दर्शाते हैं कि देश में वर्ष 2022 तक प्रत्येक 1,000 ट्रकों के लिए केवल 482 चालक उपलब्ध होंगे। ई-कॉमर्स के बढ़ते रुझान और एफएमसीजी एवं टिकाऊ उपभोक्ता की ज्यादा खपत से ट्रकों की मांग बढ़ रही है।
रिविगो में वारबर्ग पिनकस और सैफ पार्टनर्स निवेशक हैं। कंपनी के करीब 5,000 ट्रकों के बेड़े को चलाने के लिए उसके पास करीब 8,000 ट्रक चालक (रिविगो उन्हें पायलट कहती है) हैं। रिविगो का दावा है कि उसके 2,000 से अधिक ग्राहकों में मारुति सुजूकी, हीरो मोटोकॉर्प, आईटीसी, अमूल और माक्र्स ऐंड स्पेंसर शामिल हैं। इसकी पहली ग्राहक दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन थी।
गर्ग ने चालकों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एक रिले मॉडल शुरू किया है। इसका मतलब है कि एक ट्रक चालक वाहन को ए पॉइंट (माना कि दिल्ली) से लेकर बी पॉइंट (माना कि जयपुर) पर दूसरे चालक को सुपुर्द कर देता है। इससे चालक को 4 घंटे का सफर तय करना पड़ता है। अगला चालक ट्रक को पॉइंट सी तक लेकर जाएगा, जबकि पहला चालक उस ट्रक को लेकर आएगा, जो बी पॉइंट से ए पॉइंट पर आना है। इस तरह वह अपने शहर वापस आ जाता है। इस तरह उसके अपने घर लौटने से पहले केवल 9 से 10 घंटे काम करना पड़ता है। रिविगो ने विभिन्न मार्गों पर पिटस्टॉप (चालकों के एक-दूसरे को वाहन सुपुर्द करने के स्थान) बनाए हैं। गर्ग कका कहन है कि रिविगो के चालक हर महीने 24,000 रुपये कमाते हैं और स्वस्थ और खुश नजर आते हैं। रिविगो सामान उठाने और डिलिवर करने में तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती है। इससे वाहनों का गैर-निर्धारित जगहों पर रुकना और ईंधन की चोरी बंद हो गई है।
रिविगो जल्द खराब हो जाने वाले उत्पादों के बाजार को हासिल करना चाहती है। यह बाजार इसलिए नहीं बढ़ पाया है क्योंकि कोल्ड चेन का बुनियादी ढांचा सीमित है। गर्ग ने कहा, ‘भारत में रेफ्रिजरेटेड परिवहन की गुणवत्ता बहुत खराब है। आमतौर पर चालक ईंधन बचाने के लिए सिस्टम को बंद कर देता है। आप जो डेयरी उत्पाद इस्तेमाल करते हैं, उनके स्टोर में पहुंचने से पहले कई बार पिघले होने के आसार होते हैं। यही वजह है कि भारत में कभी बढिय़ा चॉकलेट पेश नहीं की जाती हैं।’ कंपनी की एक्सप्रेस सेवा अब 10,000 पिन कोड तक पहुंच चुकी है और यह आंकड़ा वर्ष के अंत तक 20,000 होने की संभाावना है। रिविगो का एक मार्केटप्लेस भी है, जहां वह वाहन के छोटे बेड़ों के मालिकों को ग्राहकों से जोड़ती है। इस मार्केटप्लेस पर 30,000 ऑपरेटर हैं, जिनका बेड़ा 1 लाख से अधिक ट्रकों का है। गर्ग ने कहा, ‘इससे मालिकों और ग्राहकों का समय बचता है और सौदा पारदर्शी होता है।’
(साभार- बी.एस.)
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