बदलेगा अंदाज - हीरा कारोबार को ब्लॉकचेन का दम
► डी बीयर्स की इस परियोजना से भारत की परिष्कृत इकाइयां और खुदरा कारोबारी जुड़ेंगे
► हजारों छोटी और अनौपचारिक क्षेत्र की इकाइयां भी हो सकेंगी शामिल
► भारत में एक सप्ताह के भीतर शुरू होगी परियोजना
► इथीरियम प्लेटफॉर्म पर विकसित की जाएगी ब्लॉकचेन
► परियोजना में शामिल होने के लिए देना होगा शुल्क
► प्रत्येक हीरे को मिलेगी विशिष्ट पहचान संख्या
मुम्बई: बिजनेस स्टैंडर्ड हीरा कारोबार को ब्लॉकचेन का दमहीरा खनन कंपनी डी बीयर्स हीरा उद्योग से जुड़ी दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर हीरा कारोबार क्षेत्र के लिए ट्रैकर नामक एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है। यह प्लेटफॉर्म हीरे की संपूर्ण शृंखला की निगराना करेगा जो इथीरियम ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा। इस प्लेटफॉर्म का निर्माण सभी हितधारकों - छोटे हीरा कारोबारी से लेकर बड़े उत्पादकों तक के फायदे के लिए किया जा रहा है, जिसमें भारतीय हीरा कारोबारी भी शामिल रहेंगे। भारती कारोबारी दुनिया में सबसे ज्यादा हीरे का प्रसंस्करण करते हैं।
इससे संबंधित प्रायोगिक परियोजना को जनवरी में एक छोटे समूह के साथ शुरू किया गया था, जिसमें कुछ भारतीय भी शामिल थे। डी बीयर्स समूह की वरिष्ठ उपाध्यक्ष (इंटरनैशनल रिलेशन ऐंड एथिकल इनिशिएटिव) फेरियल जेरोकी ने कहा, 'इसमें हीरा कारोबार की पूरी शृंखला को समाहित किया जाएगा। जैसे, खनन से अंतिम उपभोक्ता तक पहुंच, उपभोक्ताओं को उत्पाद के प्रति भरोसा दिलाना, कारोबार की दक्षता बढ़ाना, उद्योग को कर्ज देने वालों को अधिक पारदर्शिता उपलब्ध कराना आदि।' डी बीयर्स इस प्लेटफॉर्म को विकसित करने के लिए बीसीजी डिजिटल वेंचर्स के साथ मिलकर काम कर रही है।
बीसीजी डिजिटल वेंचर्स में वैश्विक ब्लॉकचेन परियोजना के निदेशक दीपक गोपालकृष्ण ने कहा, 'हमारा प्लेटफॉर्म बाजार में उपलब्ध सबसे परिपक्व ब्लॉकचेन, इथीरियम पर आधारित है। आपूर्ति शृंखला में एक स्थान से दूसरे स्थान पर हीरे को ट्रैक करने के लिए हमने निजी तकनीक विकसित की है, जिससे इसमें शामिल इकाइयों का डेटा सुरक्षित रखा जा सके। इससे डेटा को गोपनीय रखा जा सकेगा और भागीदार केवल जरूरी डेटा ही साझा करेंगे।'
अपरिष्कृत हीरा खनन के समय ब्लॉकचेन पर सूचीबद्ध होगा फिर उसकी खरीद, उसके प्रसंस्करण और खुदरा स्टोर पर जाने के सभी स्तर के आंकड़े ब्लॉकचेन में जमा होंगे। ट्रैकर टीम प्लेटफॉर्म को इस तरह से बना रही है कि इसमें छोटी और मध्यम आकार की हीरा प्रसंस्करण इकाइयां भी जोड़ी जा सकेंगी। प्रत्येक भागीदार को प्लेटफॉर्म से जुडऩे से पहले केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिससे किसी दुर्भावनापूर्ण नुकसान से बचा जा सके और परियोजना की प्रमाणिकता को बनाए रखा जा सके।
प्रायोगिक परियोजना में शामिल भारतीयों में वीनस ज्वैलर्स और रोजी ब्लू (न्यूयॉर्क) थी। डी बीयर्स ने पहले ही छोटे-बड़े हीरा खननकर्ता आदि को ब्लॉकचेन परियोजना से जुड़ने का प्रस्ताव भेज दिया है। यह ब्लॉकचेन हीरा उद्योग को अधिक पारदर्शी बनाएगी और आभासी खतरों से बचाएगी। इससे वास्तविक हीरे के साथ नकली हीरे को मिला देने का खतरा काफी कम हो जाएगा। उपभोक्ताओं को वही हीरा मिलेगा, जिसे वे खरीदना चाहते हैं।
फेरियल कहती हैं, 'लगभग 60 प्रतिशत भारतीय हीरा कारोबार अनौपचारिक क्षेत्र में फैला है। हमारे लिए भारतीय शेयरधारक काफी महत्त्वपूर्ण हैं और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत के औपचारिक तथा अनौपचारिक क्षेत्र से आने वाले लोग ट्रैकर का लाभ उठा सकें। इसके लिए हम भारतीय उद्योग से जुड़े लोगों के साथ मिलकर काम करेंगे।' उन्होंने कहा कि ट्रैकर के तहत हमारा शुरुआती ध्यान 10.8 कैरट से अधिक के अपरिष्कृत हीरों पर होगा लेकिन टीम ने 5-10.8 कैरट के बीच के कुछ अपरिष्कृत हीरों को भी लेना शुरू कर दिया है और आगामी महीनों में इसे 2-5 कैरट तक लेकर जाएंगे।
एक बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए टीम डेटा साइंस और भौतिक पहचान तकनीकों का भी उपयोग कर रही है, जिससे किसी हीरे की भौतिक विशेषताएं उसके डिजिटल रिकॉर्ड से मेल खा सकें। जब छोटी और मध्यम इकाइयां इसमें शामिल होने लगेंगी, ब्लॉकचेन ट्रैकर उन्हें एकीकृत करने के लिए एक समान तकनीक का उपयोग करेगा। हालांकि इकाइयों को एकीकृत करना बड़ी चुनौती होगी। हीरा कारोबार के लिए मुंबई में प्रसिद्ध भारत डायमंड बोर्स के अध्यक्ष अनूप मेहता कहते हैं, 'दीर्घावधि के लिए ब्लॉकचेन एक अच्छा विचार है। इससे प्रशासनिक स्तर पर कागजी काम और लागत में कमी आएगी।'
ब्लॉकचेन तकनीक से जुडऩे पर प्रशासनिक लागत और समय में बचत छोटी इकाइयों के लिए एक निर्णायक कारक हो सकती है। इसके दूसरी चुनौती खरीदार और विक्रेता के बीच गोपनीयता बनाए रखना होगा। डी बीयर्स का दावा है कि परियोजना निजता की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ तब होगा जब इसमें खनन क्षेत्र की बड़ी कंपनियां जुड़ेंगी। ब्लॉकचेन परियोजना से नहीं जुडऩे वाली इकाइयों को अलग से सारे रिकॉर्ड रखने होंगे। ब्लॉकचेन परियोजना से जुडऩे की एक लागत होगी। हालांकि ट्रैकर का उपयोग करने की वास्तविक लागत का निर्धारण अभी बाकी है। फेरियल कहती हैं कि टीम छोटे और असंगठित इकाइयों के लिए लागत कम करने पर काम कर रही है जिससे सभी इकाइयां प्लेटफॉर्म का लाभ ले सकें।
(साभार- बी.एस.)
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