अमेरिका पर शुल्क टाल सकता है भारत - आयात शुल्क का मसला
► स्थिति सामान्य करने के लिए आखिरी वक्त में कारोबारी बातचीत की कवायद से 45 दिन के लिए टल सकता है शुल्क
► अमेरिका द्वारा एल्युमीनियम और स्टील पर शुल्क लगाए जाने के विरोध में भारत ने अमेरिका से आने वाले प्रमुख 29 सामान पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है
► यह शुल्क 4 अगस्त से लागू होना था, लेकिन वाणिज्य मंत्रालय ने इसे 45 दिन टाले जाने का अनुरोध किया
► अमेरिका चाहता है कि चेरी और सोया खली का आयात बढ़ाए भारत
नयी दिल्ली: बिजनेस स्टैंडर्ड अमेरिका पर शुल्क टाल सकता है भारतकई दौर की कारोबारी बातचीत टूट जाने के बावजूद भारत एक बार फिर अमेरिका से आने वाले प्रमुख 29 सामान पर ज्यादा कर लगाने का प्रस्ताव टाल सकता है। बढ़ा हुआ कर 4 अगस्त से लागू होना है। वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि वाणिज्य विभाग ने वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग से अनुरोध किया है कि पहले के आदेश को वापस लिया जाए और ज्यादा आयात शुल्क लगाने की तिथि 45 दिन और बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड को शुक्रवार तक लेना है, जिसने आधिकारिक आदेश जारी किया है।
पिछले महीने अमेरिका से होने वाले आयात पर भारी आयात शुल्क लगाने की घोषणा के बावजूद भारत को उम्मीद थी कि 4 अगस्त के पहले बातचीत से गतिरोध खत्म हो सकता है, जब यह शुल्क लागू होना है। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'इस सप्ताह की शुरुआत में बातचीत होनी थी, लेकिन दोनों पक्षोंं में अंतिम बातचीत नहीं हो सकी क्योंकि अमेरिका स्टील व एल्युमीनियम पर लगाए गए कर से भारत को छूट देने को इच्छुक नहीं है।' 4 अगस्त की तिथि भी बहुत दूर तय हुई थी, जबकि इसकी घोषणा 28 जून को की गई थी। सरकार ने अमेरिका से आयातित कृषि सामान जैसे सेब, बादाम, अखरोट और औद्योगिक उत्पादों व स्टील के आयात पर 50 प्रतिशत तक कर लगाने की घोषणा की थी। इससे भारत को 24 करोड़ डॉलर अतिरिक्त कर मिलने की संभावना थी। भारत का दावा है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर मई में कर लगाने के बाद से भारत को घाटा हो रहा है।
कारोबार जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अमेरिका के मामले में प्रतिक्रिया देते समय सावधानी बरतने की जरूरत है। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर, अप्रत्यक्ष कर एमएस मणि ने कहा, 'बढ़ोतरी एक अतिरिक्त कारोबारी बाधा होगी, इससे घरेलू विनिर्माण और ज्यादा आकर्षक होगा क्योंकि सीमा शुल्क में तेज बढ़ोतरी से आयात वहनीय नहींं रह जाएगा। दलहन जैसे कृषि उत्पाद, जिनकी खेती 30 प्रतिशत से 70 प्रतिशत बढ़ी है, के मामले में इससे खेती को प्रोत्साहन मिलेगा, जिसका हाल के वर्षों में बेहतर उत्पादन हुआ है।'
सेब और बादाम जैसे जिंसों को लक्षित किया जाना अहम है क्योंकि इसके लिए अमेरिका भारत का प्रमुख स्रोत है। अमेरिका से कुल फल आयात 2017-18 मेंं 87.2 करोड़ डॉलर का रहा है। वहींं अमेरिका ज्यादातर कृषि उत्पादों के मामले में भारत के बाजार पर नजर बनाए हुए है। अमेरिका सोया खली और चेरी के लिए बाजार तक पहुंच बनाना चाहता है, जिसे अभी तमाम कर बाधा का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह अमेरिका के ऐक्टिंग मिनिस्टर काउंसलर मार्क वालेस ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा था, 'हम अमेरिका की चेरी, एवोकैडो और पशुओं के चारे के रूप में सोयाबीन खली के लिए भारत के बाजार में पहुंच चाहते हैं।' उन्होंने संकेत दिए थे कि इस पर बातचीत चल रही है।
अमेरिका दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सोया खली उत्पादक है और उसकी नजर नए बाजारों पर है। उसे चीन से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिसने अमेरिकी सोयाबीन पर भारी कर लगा रखा है। वहींं अमेरिका के चेरी व सेब के किसानोंं पर दबाव है, क्योंकि चीन ने ने उस पर भी भारी शुल्क लगा रखा है। दोनोंं देशों के बीच कारोबारी जंग बढऩे से चेरी का ऑर्डर कम हो गया है। अमेरिका और चीन की ओर से कर बढ़ाने की घोषणा से 34 अरब डॉलर तक का वैश्विक कारोबार प्रभावित हुआ है। उसके बाद से ट्रंप ने चीन के 20 करोड़ डॉलर के और सामान पर कर लगाने की धमकी दी है और चीन ने भी संकेत दिया है कि वह पीछे नहींं हटेगा।
(साभार- बी.एस.)
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