लहू बोलता भी है: आज़ाद ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- फ़रीदुल ज़मा, विशाखा का गांधी
आईये, जानते हैं,
आज़ाद ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- फ़रीदुल ज़मा, विशाखा का गांधी को ......
फ़रीदुल ज़मा, विशाखा का गांधी
सन् 1907 में आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम ज़िले के क़िला.बाज़ार मुहल्ले में पैदा हुए फ़रीदुल ज़मा की शुरुआती तालीम मुक़ामी स्कूल से पूरी हुई। उसके बाद आपने विशाखापट्टनम कॉलेज में एडमिशन लिया। कॉलेज में पढ़ाई के दिनों से ही आप जंगे.आज़ादी के आंदोलनों और मीटिंगों में दिलचस्पी रखने लगे थे। उन्हीं दिनों महात्मा गांधी की मीटिंग हुई। आपने बगै़र किसी झिझक के सीधे गांधीजी से मुलाक़ात की और जंगे.आज़ादी के आंदोलन में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की। गांधीजी ने फाइनल इग्ज़ाम खत्म करके आने के लिए कहा।
एग्ज़ाम देकर आप कांग्रेस के मेम्बर बने और स्वतंत्रता.आंदोलन में पूरी तरह लग गये। आप पर गांधीजी का बहुत असर था। आप अहिंसा के ज़रिये ही हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई लड़ने के पक्षधर थे। सन् 1924 में आपको पहली बार नील सत्याग्रह में गिरफ्तार किया गया और एक साल की सज़ा मिली। जेल से छूटने के बाद तो आप और ज़्यादा उत्साह से आंदोलनों में हिस्सा लेने लगे। आप ख़ुद खादी का कपड़ा पहनते और दूसरों को भी पहनने के लिए मुहिम चलाते थे। आप नान काआपरेटिव मूवमेंटए नमक आंदोलनए व्यक्तिगत सत्याग्रहए क्विट इण्डिया जैसे सभी आंदोलनों में पूरे तन.मन.धन से लगे रहे। आंदोलनकारी साथियों से आपके दोस्ताना ताल्लुक़ात थे। जब कभी भी थोड़ा वक़्त मिलताए तो दोस्तों के साथ बैठकर आप सत्याग्रह आंदोलन का नया.नया तरीक़ा ढूंढा करते थे। आप लगभग हर साल एक या दो बार जेल जाते रहे। आपको महात्मा गांधी के साथ भी जेल जाने का मौक़ा मिला। गांधीजी ने ही जेल में फ़रीदुल ज़मा को विशाखा का गांधी कहकर पुकाराए बाद में सभी सत्याग्रही आपको इसी नाम से पुकारने लगे।
जंगे.आज़ादी के आंदोलनों के बाद उन्हें जो वक़्त मिलताए उसमें समाजी कामों में दिलचस्पी लेते थे। उन्होंने छुआछूत के खि़लाफ़ भी मुहिम चलायी और शिक्षा के लिए भी बहुत काम किये। ज़मा साहब ने लाइब्रेरी खोलने के लिए भी आंदोलन चलाया। उस ज़माने में उर्दू.हिन्दी की लाइब्रेरी खोलने के लिए अंग्रेज़ अफ़सरों से इजाज़त लेनी पड़ती थी। आपने एक उर्दू लाइब्रेरी खोली जिसका नाम बाबूलाल ग्रंथालय रखा।
आज़ादी के बाद के दिनों में आपने नेशनल इंटीग्रेशन पर बहुत काम किया। आपने क़ौमी एकजहती के लिए बहुत काम किया। आपने आंदोलनों के दिनों में 6 साल जेल में ही बिताये। फ़रीदुल ज़मा उर्फ विशाखा के गांधी का इंतक़ाल 2 दिसम्बर सन् 1983 को हुआ। आपकी अंतिम यात्रा में हर ज़ातए हर बिरादरी और क़ौम का आदमी लाखों की तादात मे शरीक हुआ था। जंगे.आज़ादी के इतने बड़े मुजाहिद को सरकार की तरफ से कोई सम्मान नहीं मिलना भी हैरत में डालता है।
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