नेट निरपेक्षता को मंजूरी
नई दिल्ली, 11 जुलाई: नेट निरपेक्षता नियमों को दूरसंचार आयोग की हरी झंडी मिलने के साथ ही यह साफ हो गया है कि भारत में हरेक शख्स की इंटरनेट तक खुली पहुंच रहेगी। इस कदम से कोई भी सेवा प्रदाता इंटरनेट उपभोग के दौरान सामग्री मुहैया कराने में किसी तरह का भेदभाव या गतिरोध नहीं पैदा कर सकता है। हालांकि कुछ खास इंटरनेट सेवाएं नेट निरपेक्षता नियमों के दायरे से बाहर बनी रहेंगी। दूरसंचार विभाग (डीओटी) दूरसंचार ऑपरेटरों के लाइसेंस में संशोधन भी करेगा ताकि उन्हें नेट निरपेक्षता के सिद्धांत के अनुरूप ढाला जा सके। दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने बुधवार को कहा, 'नेट निरपेक्षता के सिद्धांत का कुछ संवेदनशील श्रेणियों को छोड़कर बाकी सभी दूरसंचार सेवाओं में पालन किया जाएगा।'
दूरसंचार नियामक ट्राई ने गत वर्ष नवंबर में ही नेट निरपेक्षता से संबंधित अपनी अनुशंसाएं दी थीं। दूरसंचार क्षेत्र के शीर्ष नीति-नियामक दूरसंचार आयोग ने उसकी सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। हालांकि एक सेवा वर्ग के तौर पर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) को नेट निरपेक्षता के दायरे से बाहर नहीं रखा जाएगा लेकिन कुछ खास आईओटी सेवाएं इसमें शामिल नहीं होंगी। दूरसंचार सचिव ने कहा कि सेंसर चालित स्वायत्त वाहनों एवं डिजिटलीकृत स्वास्थ्य देखभाल के दौर में कुछ खास गतिविधियों की वरीयता तय करने की जरूरत है। इसके लिए विभाग अहम इंटरनेट सेवाओं की पहचान के लिए एक समिति का गठन करेगा और उनके लिए अलग व्यवस्था लेकर आएगा।
एक अधिकारी ने अहम इंटरनेट सेवाओं का विवरण देते हुए कहा कि सड़कों पर मौजूद स्वायत्त वाहनों को सोशल मीडिया चैट की तुलना में वरीयता दी जाएगी। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में अगर कोई दूरस्थ रोबोटिक सर्जरी हो रही है तो इंटरनेट ट्रैफिक को उसके हिसाब से तय किया जाएगा क्योंकि एक मिलीसेकंड की भी देरी का नतीजा घातक हो सकता है। दूरसंचार आयोग ने नेट निरपेक्षता नियमों के अलावा नई दूरसंचार नीति को भी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 का उद्देश्य निवेश जुटाना, कारोबारी सुगमता को बढ़ाना और 5जी जैसी नई तकनीकों को तवज्जो देने वाली नीति बनाना है। अरुणा ने कहा, 'हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जल्द से जल्द डिजिटल ढांचा मौजूद हो। इसके लिए भारत में कारोबारी सुगमता और सक्षमकारी नीतिगत परिवेश का होना जरूरी है।'
दूरसंचार क्षेत्र पर लगे शुल्कों में कटौती के बारे में पूछे जाने पर सचिव ने कहा कि करों में कटौती से संबंधित पहलुओं का इस नीति में जिक्र किया गया है। आगे चलकर कुछ विशेष प्रस्ताव लाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नई दूरसंचार नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद ये प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं। ट्राई ने दूरसंचार ऑपरेटरों को डेटा की अलग-अलग कीमतों की पेशकश करने से रोक दिया है जिससे फेसबुक के फ्री बेसिक्स और एयरटेल जीरो जैसी सेवाओं पर रोक लग जाएगी। नियामक ने कंटेंट पर आधारित इंटरनेट पहुंच सुनिश्चित करने में किसी भी तरह के भेदभाव को रोकने के लिए लाइसेंस की शर्तों में बदलाव का सुझाव भी दिया है।
दूरसंचार सचिव ने कहा, 'हम चारदीवारी से घिरा हुआ बगीचा नहीं चाहते हैं। दूरसंचार विभाग पहले से ही नेट निरपेक्ष नीतियों की वकालत करता रहा है और ट्राई के बाद अब दूरसंचार आयोग ने भी उस पर मुहर लगा दी है।' दूरसंचार विभाग भी इस विषय पर ट्राई से सुझाव मिलने के बाद नेट निरपेक्षता ट्रैफिक प्रबंधन के बारे में एक नीति बनाएगा। अहम सेवाओं की पहचान पर काम कर रही समिति भी इस मुद्दे पर विचार कर सकती है।
भारत ने हमेशा खुले इंटरनेट का समर्थन किया है। ट्राई के प्रस्ताव के मुताबिक नेट निरपेक्षता पर नजर रखने और इसे लागू करने के लिए विभिन्न पक्षों की एक संस्था का गठन किया जाएगा। इसमें दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, सिविल सोसाइटी, सरकार और आईओटी प्लेटफॉर्म प्रदाताओं के प्रतिनिधि और उपभोक्ता प्रतिनिधि शामिल होगी। इसके अलावा दूरसंचार आयोग ने दोहरे कराधान को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटरों के लिए दोहरे कराधान को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
सरकार को उम्मीद है कि इससे इन सेवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। 67 कंपनियों ने इसके लिए लाइसेंस लिया है लेकिन दोहरे और कुछ मामलों में तिहरे कराधान के कारण सेवाएं शुरू नहीं की हैं। आयोग ने साथ ही सभी ग्राम पंचायतों में 10 लाख से अधिक वाईफाई हॉटस्पॉट स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। दूरसंचार विभाग इसके लिए सेवा प्रदाताओं को 60 अरब रुपये देगा। हर ग्राम पंचायत में 5 वाईफाई हॉटस्पॉट स्थापित किए जाएंगे और विभाग स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पुलिस थानों और डाकघर आदि में हॉटस्पॉट स्थापित करने का खर्च वहन करेगा। इसके लिए विभाग एक निविदा जारी करेगा और यह परियोजना इस साल के अंत तक पूरी हो जाएगी। इसके अलावा नई प्रौद्योगिकी के लिए यूएसओएफ के जरिये पायलट परियोजनाओं के वित्त पोषण के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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