बुलेट ट्रेन की राह में गोदरेज
परियोजना के लिए अपनी जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ अदालत पहुंचा गोदरेज समूह
मार्ग की कुल लंबाई : 508.17 किमी
महाराष्ट्र : 155.642 किमी
गुजरात : 350.53 किमी
दादरा एवं नगर हवेली : 2 किमी
भूमिगत मार्ग की लंबाई : 21 किमी
परियोजना की लागत : 1.08 लाख करोड़ रुपये
जीका ऋण : 0.01 फीसदी ब्याज पर 880 अरब रुपये
नई दिल्ली/मुंबई, 09 जुलाई: मोदी सरकार की 1.08 लाख करोड़ रुपये की बहुप्रतीक्षित बुलेट ट्रेन परियोजना से करीब 7,000 किसानों, 15,000 परिवारों और 60,000 लोगों के विस्थापित होने की संभावना है। इनमें से कई इस परियोजना के विरोध में उतर आए हैं। विरोध के इन सुरों में गोदरेज समूह भी शामिल हो गया है। कंपनी ने मुंबई के विक्रोली इलाके में उसकी 5 अरब रुपये की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
अगर गोदरेज इस अधिग्रहण के लिए राजी नहीं होता है तो परियोजना से जुड़ी संस्थाओं को या तो बुलेट ट्रेन का रास्ता बदलना पड़ेगा या महाराष्ट्र भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के आधार पर जबरदस्ती भूमि का अधिग्रहण करना पड़ेगा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि कंपनी परियोजना के रास्ते में बदलाव चाहती है ताकि आधारभूत ढांचे से जुड़ी उसकी सहयोगी कंपनी गोदरेज कंसट्रक्शंस की करीब 8.6 एकड़ जमीन इससे बाहर हो जाए। कंपनी के प्रवक्ता ने इस बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
बुलेट ट्रेन के मौजूदा रूट के मुताबिक मुंबई और अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर ट्रैक में से महाराष्ट्र में करीब 21 किमी रूट भूमिगत होगा। इस भूमिगत रास्ते का एक छोर गोदरेज की जमीन पर हो सकता है। नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसीएल) और जापान की कावासाकी जियोलॉजिकल इंजीनियरिंग के अधिकारियों का एक दल पहले ही बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से सुरंग पर शुरुआती काम शुरू कर चुका है। ट्रेन का टर्मिनल स्टेशन इसी कॉम्प्लेक्स में होगा। इस सुरंग का अधिकांश हिस्सा हरित पट्टी से गुजर रहा है जिसमें ठाणे क्रीक, समुद्री सतह के नीचे का और मेंग्रोव का दलदली इलाका शामिल है। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक विक्रोली इलाके में जमीन की कीमत 55 से 65 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है।
संपत्ति सलाहकार नाइट फ्रैंक में कार्यकारी निदेशक गुलाम जिया ने कहा 'कृषि जमीन के अधिग्रहण के मामले में जमीन की कीमत का 5 गुना मुआवजा मिलता है। कॉर्पोरेट के स्वामित्व वाली जमीने के लिए मुआवजा ढांचा अलग है। हमें यह देखना होगा कि जमीन किस क्षेत्र में आती है। गोदरेज के पास अलग तरह की जमीन है। हमें यह देखना होगा कि यह अविकसित क्षेत्र है, नमक वाली जमीन है या फिर मेंग्रोव वाला इलाका।'
यह परियोजना धीमी गति से आगे बढ़ रही थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 23 मई को प्रगति प्लेटफॉर्म के जरिये इसकी समीक्षा करने के बाद इसकी रफ्तार तेज हुई है। उन्होंने रेलवे को इस परियोजना के बारे में लोगों की शिकायतों का जल्द से जल्द समाधान करने को कहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, शिव सेना, कांग्रेस और वामपंथी दलों की अगुआई में किसानों ने महाराष्ट्र और गुजरात में इस परियोजना के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया है। माना जा रहा है कि इस पर जापान ने चिंता जताई थी जो जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जीका) के जरिये इस परियोजना के लिए फंड मुहैया करा रहा है। इस परियोजना के बारे में इस महीने मूल्यांकन होने की उम्मीद है जिसके बाद जीका 880 अरब रुपये के ऋण के लिए भारत के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है। अब तक दोनों देशों के बीच 6 अरब रुपये का ऋण समझौता हुआ है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एनएचएसआरसीएल को इस साल दिसंबर तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने, अगले साल जनवरी में निर्माण शुरू करने और 2022 की पहली छमाही में काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अब तक बीकेसी में केवल 0.9 हेक्टेयर जमीन का ही अधिग्रहण हुआ है। डहाणू जैसे इलाकों में अब भी विरोध जारी है लेकिन अधिकारियों का दावा है कि प्रगति समीक्षा के बाद करीब 300 गांवों में लोगों की चिंता को दूर करने में मदद मिली है।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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