भावांतर योजना अंतर्गत समर्थन मूल्य पर मूंग उड़द की खरीदी में बड़ा खेल उजागर
भोपाल, 03 जुलाई: अन्य फसलों की तरह भावांतर योजना के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर उड़द और मूंग की खरीदी करने की सरकार की घोषणा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते-चढ़ते बच गई. यह मामला सामने आया जबलपुर जिले में जहां घोषणा के बाद ही अचानक उड़द और मूंग की उपज का रकबा साढ़े 16 हज़ार हेक्टेयर से बढ़कर 44 हज़ार हेक्टेयर हो गया.दरअसल किसान हितैषी सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही.कलेक्टर छवि भरद्वाज ने खुद इस बात को माना कि व्यापारियों ने अपना पुराना स्टॉक खपाने के लिए भावांतर को ज़रिया बनाया.उन्होंने कहा कि वह इसकी एसडीए स्तर से जांच कराएंगी. इस मामलें में कम से कम दस पटवारियों पर गाज गिरना तय है.
ताजा मामला भांवातर योजना से जुड़ा हुआ है.जहां पटवारियों ने किसानों से मिल बड़ी साजिश रची. हाल ही में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर उड़द और मूंग को शामिल करने के ऐलान के बाद जबलपुर में अमूलचूल बदलाव नजर आया. आंकड़ों के मुताबिक जिले में उड़द और मूंग की पैदावार का रकबा अचानक तीन गुना बढ़ गया. समर्थन मूल्य पर रकबे के भौतिक पंजीयन के बाद जब आंकड़ा 44 हज़ार हेक्टेयर पहुंच गया तो जबलपुर से लेकर भोपाल तक अधिकारियों के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई. आखिर अचानक दो महीनों में इतना रक्बा कहां से बढ़ गया.
मामले में जब भोपाल से लताड़ पड़ी तो कलेक्टर ने पुनः रकबे के सत्यापन का आदेश दिया. राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जब जांच कि तो दोबारा रकबा करीब 24 हज़ार हेक्टेयर पाया गया. फिर भी यह असल से करीब बहुत ज्यादा है जबकि कृषि विभाग ने इसी रकबे को 16 हज़ार हेक्टेयर बताया है.एक हेक्टेयर में करीब ढ़ाई एकड़ ज़मीन होती है और प्रति एकड़ करीब 5 क्विंटल उड़द मूंग होती है.वर्तमान में बाजार मूल्य प्रति हेक्टेयर मूंग का 5500 और उड़द का 3500 रुपये है यानि प्रति हेक्टेयर 17,500 मूंग जबकि 10,500 उड़द का होता है.
(प्रतीक मोहन अवस्थी की रिपोर्ट)
(साभार- न्यूज़- 18)
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