तेल में तेजी से बढ़ेगा आयात बिल
नयी दिल्ली : कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने के एक दिन बाद आज सरकार ने कहा कि फिलहाल इससे राजकोषीय स्थिति और सब्सिडी बिल पर व्यापक असर पड़ता नहीं दिख रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि तेल की कीमतों में लगातार आ रही तेजी को देखते हुए इस साल देश के आयात बिल में 25 से 50 अरब डॉलर का इजाफा हो सकता है। इसके साथ ही सरकार ने फिलहाल पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती का कोई वादा नहीं किया है और इसकी बढ़ी हुई कीमतों का भार ग्राहकों पर डालाना जारी रखा जा सकता है।
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, 'विभिन्न परिदृश्यों में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से आयात बिल पर अधिकतम 25 अरब से 50 अरब डॉलर का भार पड़ सकता है। तेल आयात बिल से चालू खाता घाटा पर भी असर पड़ेगा।' हालांकि गर्ग ने कहा, 'यह मामने की कोई वजह नहीं है कि इससे राजकोषीय घाटे पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। हम यह सुनिश्चित करना जारी रखेंगे कि राजकोषीय घाटे पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।' वित्त वर्ष 2017-18 में तेल का सकल आयात 109.11 अरब डॉलर का रहा था, जो इससे पिछले साल की तुलना में 15 फीसदी अधिक है। दूसरी ओर भारत को कच्चे तेल निर्यात से होने वाली आय पिछले साल की तुलना में कम रही। गर्ग ने कहा कि 2017-18 में तेल का शुद्घ आयात 70 अरब डॉलर रहा।
गुरुवार को कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई, जो नवंबर 2014 के बाद इसका उच्च स्तर है। अमेरिका द्वारा ईरान के निर्यात पर नई पाबंदी लगाने की चिंता से तेल की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है, क्योंकि ऐसा होने से वैश्विक बाजार में तेल की आपूर्ति घट सकती है। ब्रेंट क्रूड वायदा शुक्रवार को कारोबार के दौरान 80.18 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। हालांकि बाद में यह थोड़ा घटकर 79.67 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। यूएस वेस्ट टैक्सस इंटरमीडिएट क्रूड वायदा 41 सेंट चढ़कर 71.90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। एक बार यह 72.30 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था, जो नंबवर 2014 के बाद का उच्चतम स्तर है। भारतीय क्रूड बास्केट 77.73 डॉलर प्रति बैरल पर है। 2018-19 के बजट में इस साल तेल की औसत कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान लगाया गया था।
पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठï के अनुसार 2018-19 में 105 अरब डॉलर मूल्य के कच्चे तेल का आयात होने का अनुमान है। गर्ग ने वृहद-आर्थिक एवं राजकोषीय संकेतकों पर तेली कीमतों का असर कमतर दिखाने की कोशिश की। गर्ग ने कहा, 'आर्थिक वृद्धि के आयाम खासे मजबूत दिख रहे हैं। इसके साथ ही वृहद-आर्थिक हालात भी बेहतर लग रहे हैं और महंगाई नियंत्रण में है। वृद्धि दर के अनुमान में कमी नहीं की गई है और बॉन्ड पर प्राप्तियां बढऩे के बावजूद राजकोषीय घाटे का आंकड़ा नहीं बढ़ाया गया है। हमारा उधारी कार्यक्रम भी निर्बाध रूप से चल रहा है।' गर्ग से जब यह पूछा गया कि क्या सरकार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करेगी तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। उ न्होंने कहा, 'देखते जाएं। पिछले कुछ दिनों के दौरान कीमतें दुरुस्तकी गई हैं। आपके हिसाब से यह क्या संकेत देता है।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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