कंपनी बचाने की जुगत में जेपी
नई दिल्ली, 15 अप्रैल: दिवालिया रियल एस्टेट कंपनी जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के अधिग्रहण के लिए सुधीर वालिया के सुरक्षा एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी से लेकर अदाणी समूह जैसे दिग्गजों ने बोली लगाई है। हालांकि कंपनी के प्रवर्तकों को इस बात की आशंका है कि कंपनी का मूल्यांकन घटकर आधा रह सकता है, इसीलिए उन्होंने कंपनी पर अपना दावा पेश करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। बोलीदाताओं ने 70 से 80 अरब रुपये के दायरे में बोली लगाई है, वहीं जेआईएल के करीबी सूत्रों ने कहा कि कंपनी का मूल्यांकन 160 अरब रुपये से कम नहीं है। कंपनी से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'कंपनी के पास 3300 एकड़ का जमीन पड़ी है, जिसका अभी इस्तेमाल नहीं हुआ है और इसकी कीमत करीब 100 अरब रुपये से अधिक है। बाकी संपत्तियों को मिला लें तो इसका मूल्यांकन करीब 160 अरब रुपये हो जाता है।'
मामले के जानकार सूत्रों के अनुसार डॉयचे बैंक कंपनी के परिचालन के लिए निपटान पेशेवरों को 14 अरब रुपये का अंतरिम वित्तपोषण देने को तैयार है। हालांकि बैंक की ओर से इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टिï नहीं की जा सकी। जेआईएल ने उच्चतम न्यायालय को सौंपे अपने हलफनामे में कहा है कि उसकी पेशकश अन्य बोलीदाताओं से बेहतर है। जेआईएल को उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय उसके प्रस्ताव को स्वीकार करेगा, जिससे कंपनी को डॉयचे बैंक से 14 अरब रुपये हासिल करने में मदद मिलेगी। कंपनी ने करीब 5.5 अरब रुपये भी जमा कराए हैं और अगले दो महीने में 2 अरब रुपये और जमा करा सकती है। सूत्रों ने बताया, 'अगर कंपनी को अंतरिम वित्तपोषण मिलता है और अदालत पहले से जमा रकम वापस देती है तो उसके पास लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त रकम होगी।'
इस बारे में संपर्क करने पर जेपी के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने उच्चतम न्यायालय से प्रस्ताव पर विचार करने का आग्रह किया है और दावा किया है कि यह प्रस्ताव मकान खरीदारों, अल्पांश शेयरधारकों सहित सभी शेयरधारकों के हित में है। प्रवक्ता ने कहा, 'हमारा मानना है कि हमारी पेशकश निपटान पेशेवरों के पास भेजे गए अन्य प्रस्तावों सेे कहीं बेहतर है।' कंपनी द्वारा समय पर परियोजनाएं पूरी नहीं की जाने से करीब 32,000 मकान खरीदार फंसे हुए हैं। कंपनी की परियोजनाएं करीब आठ साल से अटकी हुई हैं। जेपी इन्फ्रा का दावा है कि उसने 13,500 मकानों को करीब-करीब तैयार कर लिया है और उसके खरीदारों को कब्जा प्रमाणपत्र मिल गए हैं या मिलने वाले हैं। सूत्रों ने कहा कि कंपनी को भरोसा है कि वह बाकी बचे फ्लैटों को 2021 तक बना लेगी।
उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार पिछले साल जब रियल एस्टेट नियमन कानून (रेरा) को लागू किया गया था तब जेपी ने तीन साल में सभी लंबित फ्लैटों को पूरा करने का वादा किया था। सूत्रों ने यह भी कहा कि शुरुआत में आईडीबीआई जेपी से इस शर्त पर भूखंड लेने को तैयार था कि वह तीन साल बाद उसे वापस खरीद लेगी। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज की अदला-बदली की अनुमति नहीं दी और उसे गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित कर दिया। इसके बाद आईडीबीआई जेपी इन्फ्रा को 5.26 अरब रुपये के ऋण डिफॉल्ट मामले में एनसीएलटी ले गई, वहीं मकान खरीदारों ने उच्चतम न्यायालय में कंपनी के खिलाफ मामला दायरा किया। अदालत में इस हफ्ते मामले की सुनवाई शुरू हो सकती है।
(साभार: बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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