
Climate कहानी: पेरिस एक्ट से और दूर ले जा रही है दुनिया की फॉसिल फ़्यूल योजनाएँ - नई रिपोर्ट
लखनऊ: आज 'विशेष' में प्रस्तुत है, "Climate कहानी", जिसका शीर्षक है - "पेरिस एक्ट से और दूर ले जा रही है दुनिया की फॉसिल फ़्यूल योजनाएँ - नई रिपोर्ट"।
"पेरिस एक्ट से और दूर ले जा रही है दुनिया की फॉसिल फ़्यूल योजनाएँ - नई रिपोर्ट":
स्टॉकहोम से जारी एक बड़ी रिपोर्ट में साफा ने कहा है कि, पेरिस एक्ट के 10 साल बाद भी सरकारें पुराने रास्ते पर चल रही हैं। 2025 के उत्पादन गैप रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक दुनिया भर में लकड़ी का कोयला, तेल और गैस पाइपलाइन की योजना बनी हुई है, जिसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोक के लिए प्रवेश स्तर आवश्यक से लगभग 120% अधिक है। यहां तक कि 2 डिग्री सेल्सियस के खाते से भी ये उत्पादन 77% ज्यादा बैठ गया।
2023 में ये पात्र 110% और 69% था, यानी अब आंकड़े और नमूने हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ये फिल्में चल रही हैं तो पेरिस के लक्ष्य सिर्फ कागजों में ही रहेंगे।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
- सरकार अब 2035 तक प्लांट और 2050 तक गैस उत्पादन और भी बढ़ाने की तैयारी में है।
- तेल उत्पादन की योजना में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
- अगर पेरिस एक्जीक्यूटिव का लक्ष्य पाना है तो अब बहुत तेजी से और बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन का उत्पादन कम हो जाएगा। अन्यथा अरबों डॉलर की पब्लिक फंडिंग ऐसे प्रोजेक्ट्स पर बर्बाद होगी जो आगे चलकर लाभ (फंसी हुई संपत्ति) साबित होंगे।
रिपोर्ट में 20 बड़े फॉसिल फ़्यूल निर्माता देशों का भी खुलासा किया गया है, जिनमें भारत, अमेरिका, चीन, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील शामिल हैं। इनमें से 17 देश 2030 तक कम-से-कम एक जीवाश्म ईंधन का उत्पादन और वृद्धि की योजना बना रहे हैं। अच्छा ये है कि 6 देशों ने अब ऐसी नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं जो उनके राष्ट्रीय और वैश्विक नेट-जीरो लक्ष्य से मेल खाते हैं।
रिपोर्ट की सह-लेखिका एमिली घोष कहती हैं, "1.5 डिग्री लक्ष्य के लिए मजबूत लक्ष्य को तत्काल कदम उठाना होगा-कोयला, तेल और गैस में निवेश विशाल साझेदारी ऊर्जा, मजबूत मजबूती और न्यायसंगत ट्रांज़िशन की ओर पैसा बढ़ाना होगा। दुर्लभ खतरे और खराब होंगे, और सबसे अधिक प्रभावशाली गरीब और मजबूत आबादी पर बढ़त होगी।"
पूर्व यूएनएफसीसीसी प्रमुख क्रिस्टियानागे फायरेस ने भी चेतावनी दी है कि यह रिपोर्ट एक घटिया बेल है। उन्होंने कहा, "रिन्यूएबल्स का दौर तय है, लेकिन हमें तुरंत झटका और एकजुटता ट्रांजिशन को तेजी से करना होगा।"
साफ है, दुनिया को अब अनाथ-अधूरे वादों से आगे चलकर फ़ासिल फ़्यूल से बाहर की रचनाएँ करनी होंगी। ऑलरेसी पेरिस एक्ट की 1.5 डिग्री की सीमा सिर्फ इतिहास की कहानी में रहेगी।
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