वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की वार्षिक समीक्षा 2024: वित्त मंत्रालय
नई-दिल्ली (PIB): वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने वर्ष 2024 में भारत के आर्थिक लचीलेपन और वैश्विक एकीकरण को बढ़ाने के लिए परिवर्तनकारी पहलों की अगुवाई की। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उल्लेखनीय रूप से वित्तीय सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में शामिल देशों (2024-27) के लिए मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर नए ढांचे को मंजूरी दी। इस ढांचे ने 25,000 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय मुद्रा स्वैप विंडो की शुरुआत की, जो अमरीकी डॉलर/यूरो स्वैप विंडो का पूरक है, और इसका उद्देश्य भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना है। ये उपाय सार्क देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र में वित्तीय स्थिरता प्रदान करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।
भारत की अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को और मजबूत करते हुए, भारत-यूएई द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) पर हस्ताक्षर और क्रियान्वयन ने निवेशकों के विश्वास और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में एक नया अध्याय जोड़ा, जबकि भारत-उज्बेकिस्तान बीआईटी ने निवेशक संरक्षण और विवाद समाधान तंत्र पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, भारत और कतर के बीच निवेश पर संयुक्त कार्य बल के गठन ने मजबूत सहयोग को सुगम बनाया, और श्रीलंका के आर्थिक स्थिरीकरण में भारत की सक्रिय भूमिका ने क्षेत्रीय वित्तीय चुनौतियों से निपटने में इसके नेतृत्व को दर्शाया। ये पहल वैश्विक आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने और सतत विकास को सहारा देने के लिए भारत के समर्पण को दर्शाती हैं।
घरेलू स्तर पर, डीईए ने बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और निवेश नियमों को सरल बनाने के लिए कारोबार करने में आसानी (ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस, ईओडीबी) जैसे कई सुधार पेश किए। राष्ट्रीय अवसंरचना तत्परता सूचकांक (एनआईआरआई) की शुरुआत ने राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों में बुनियादी ढांचे के विकास का मूल्यांकन और प्रोत्साहन देकर सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा दिया। इसके साथ ही, विदेशी निवेश नियमों-विदेशी प्रत्यक्ष निवेश विनियमन (ओवरसीज डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट रेगुलेशन) और विदेशी विनिमय प्रबंधन नियम (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट रूल्स) में संशोधन ने इन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया और सीमा पार निवेश को सुविधाजनक बनाया। इन पहलों ने समग्र रूप से भारत के निवेश माहौल को बेहतर बनाया, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक विस्तार संभव हुआ और देश भर में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला।
2024 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की कुछ प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:
सार्क देशों के लिए मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर रूपरेखा 2024-27
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 जून, 2024 को 'सार्क देशों के लिए मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर नए ढांचे 2024-27' को मंजूरी दी। नए ढांचे ने 'सार्क देशों के लिए मुद्रा विनिमय व्यवस्था ढांचे 2019-22' का स्थान लिया।
सार्क मुद्रा विनिमय ढांचा
- वैश्विक वित्तीय सुरक्षा व्यवस्था में द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था को मान्यता दी गई।
- सार्क देशों के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करना तथा क्षेत्रीय एकीकरण और अंतर-निर्भरता को बढ़ावा देना।
- यह रूपरेखा 2012 में अपनी स्थापना के समय से ही लागू है, जिसका उद्देश्य सार्क देशों को अल्पकालिक विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं के लिए वित्तपोषण उपलब्ध कराना है।
प्रभाव:
- भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय रुपये में निकासी को बढ़ावा देने हेतु 2 बिलियन डॉलर के मौजूदा यूएसडी/यूरो स्वैप विंडो के अतिरिक्त 25000 करोड़ रुपये की एक अलग भारतीय रुपये स्वैप विंडो की शुरुआत की गई।
भारत-यूएई द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी)
- भारत-यूएई द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) पर 13 फरवरी 2024 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
- भारत-यूएई बीआईटी 31 अगस्त, 2024 को प्रभावी हुई।
- बीआईटी, स्थापना के बाद निवेश के लिए न्यूनतम मानक निष्पादन और राष्ट्रीय निष्पादन का आश्वासन देकर निवेशकों के विश्वास को बढ़ाएगा।
- इससे भारत और यूएई के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने तथा निवेश को बढ़ावा देने के माध्यम से दोनों देशों को पारस्परिक लाभ होगा।
- बीआईटी आर्थिक संबंधों के महत्व और अनुकूल निवेश वातावरण को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
भारत-यूएई बीआईटी 2024 की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:
- पोर्टफोलियो निवेश के कवरेज के साथ निवेश की बंद परिसंपत्ति-आधारित परिभाषा।
- निवेश प्रक्रिया के साथ पूर्ण न्याय करने, उचित प्रक्रिया का मौलिक उल्लंघन न करने, लक्षित भेदभाव न करने तथा स्पष्ट रूप से अपमानजनक या मनमाना व्यवहार न करने की बाध्यता के साथ व्यवहार।
- कराधान, स्थानीय सरकार, सरकारी खरीद, सब्सिडी या अनुदान और अनिवार्य लाइसेंस से संबंधित उपायों के लिए दायरा निर्धारित किया गया है।
- निवेशक-राज्य विवाद निपटान (आईएसडीएस) मध्यस्थता के माध्यम से, जिसमें 3 वर्षों के लिए स्थानीय निष्पादन की अनिवार्य समाप्ति शामिल है।
- सामान्य और सुरक्षा अपवाद।
- राज्य के लिए विनियमन अधिकार।
- यदि निवेश भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, धन एक देश से दूसरे में हस्तांतरण और फिर मूल देश में भेजना (राउंड ट्रिपिंग) आदि से जुड़ा हुआ है तो निवेशक दावा नहीं कर सकता।
- राष्ट्रीय स्तर पर निवेश व्यवहार संबंधी प्रावधान।
- संधि में निवेश को अधिग्रहण से सुरक्षा प्रदान करने, पारदर्शिता, हस्तांतरण और हानि के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है।
भारत-उज्बेकिस्तान द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी)
भारत और उज़्बेकिस्तान गणराज्य ने 27 सितंबर 2024 को ताशकंद में द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर किए। बीआईटी प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय पूर्ण निर्णयों और परिपाटी के आलोक में भारत में उज़्बेकिस्तान के निवेशकों और उज़्बेकिस्तान गणराज्य में भारतीय निवेशकों को उचित सुरक्षा का आश्वासन देता है।
भारत-उज्बेकिस्तान बीआईटी की मुख्य विशेषताएं
- प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय आधिकारिक निर्णयों और कार्यप्रणाली के मद्देनजर दोनों देशों के निवेशकों को पारस्परिक रूप से उचित संरक्षण प्रदान करना।
- मध्यस्थता के माध्यम से विवाद निपटान के लिए एक स्वतंत्र मंच प्रदान करते हुए निष्पादन और भेदभाव-रहित न्यूनतम मानक।
- निवेशों को अधिग्रहण से सुरक्षा, पारदर्शिता, हस्तांतरण और नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान।
भारत और कतर के बीच निवेश पर संयुक्त कार्य बल
भारत और कतर के बीच निवेश पर संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) का गठन किया गया, जिसमें कतर राज्य के आर्थिक मामलों के सचिव और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अवर सचिव-सह-अध्यक्ष का प्रावधान है।
6 जून 2024 को नई दिल्ली में अपनी पहली बैठक में , संयुक्त कार्यबल ने निम्नलिखित पर विचार किया:
- संस्थागत व्यवस्था के माध्यम से निवेश सहयोग को मजबूत करना।
- निवेश बढ़ाने के तरीके तथा दोनों देशों में सहयोग और निवेश के अवसरों पर विचार-विमर्श।
- श्रीलंका और भारतीय एक्ज़िम बैंक के बीच समझौता ज्ञापन।
श्रीलंका और भारतीय एक्जिम बैंक के बीच समझौता ज्ञापन
- भारत ने 718.12 मिलियन डॉलर के कुल बकाया के साथ सात (7) जीओआईएलओसी तथा भारत एक्ज़िम बैंक पुनर्गठन द्वारा विस्तारित राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (बीसी-एनईआईए) सुविधा के तहत क्रेता ऋण कार्यक्रम प्रदान किया।
- आईएमएफ ने 20 मार्च , 2023 को श्रीलंका के लिए विस्तारित निधि सुविधा (ईईएफ कार्यक्रम) को मंजूरी दी थी।
- श्रीलंका के लिए ऋण पुनर्गठन का कार्य भारत, जापान और फ्रांस (पेरिस क्लब अध्यक्ष) की सह-अध्यक्षता वाले कॉमन फोरम के माध्यम से किया गया।
- सह-अध्यक्ष के रूप में भारत के व्यापक कार्य ने आईएमएफ से तीसरे संवितरण की मंजूरी का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे श्रीलंका की स्थायी आर्थिक सुधार की ओर वापसी सुनिश्चित हुई।
- भारत ने ऋण समाधान को सुविधाजनक बनाने की दिशा में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाकर श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण, सुधार और विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बरकरार रखी है।
राष्ट्रीय अवसंरचना तत्परता सूचकांक (एनआईआरआई) का विकास
सितंबर 2024 में शुरू किया गया राष्ट्रीय अवसंरचना तत्परता सूचकांक (एनआईआरआई) सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है:
- राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों तथा चिन्हित केन्द्रीय अवसंरचना मंत्रालयों/विभागों के बीच प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना, ताकि उनके संबंधित प्रदर्शन में सुधार हो तथा अवसंरचना विकास के माहौल को और बेहतर बनाया जा सके।
- बुनियादी ढांचे के विकास और इसके लिए अनुकूल वातावरण का मार्ग प्रशस्त करना।
- यह एक व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया है, जिसका उपयोग किसी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र या किसी बुनियादी ढांचा मंत्रालय/विभाग की बुनियादी ढांचे के विकास के लिए तैयारी और क्षमता का आकलन करने के लिए किया जाएगा।
- राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और बुनियादी ढांचा-केंद्रित मंत्रालयों/विभागों के प्रदर्शन का आकलन और वर्गीकरण करना।
कारोबार करने में आसानी (ईओबी) प्रक्रिया में संशोधन
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने विदेशी और सीमा पार निवेश से संबंधित नियमों को सरल बनाने तथा निवेश-समर्थक माहौल के लिए सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए निम्नलिखित पहल की हैं।
विनियमन का नाम |
संशोधन की तिथि |
प्रभाव |
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश विनियमन |
12 जुलाई 2024 |
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विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण उपकरण) (चौथा संशोधन) नियम, 2024 |
16 अगस्त 2024 |
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विदेशी मुद्रा (समझौता कार्यवाही) नियम, 2024 |
12 सितम्बर 2024 |
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प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) संशोधन नियम, 2024 |
18 अगस्त 2024 |
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