ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना: पंचायती राज मंत्रालय
स्वामित्व का क्रांतिकारी प्रभाव
नई-दिल्ली (PIB): राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल, 2020 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई स्वामित्व योजना का उद्देश्य गांव की आबादी वाले इलाकों में संपत्ति के मालिकों को "अधिकारों का रिकॉर्ड" प्रदान करके ग्रामीण भारत के आर्थिक परिवर्तन को गति देना है। भूमि सीमांकन के लिए उन्नत ड्रोन और जीआईएस तकनीक का उपयोग करते हुए यह योजना आर्थिक लाभ (संपत्ति मुद्रीकरण) प्राप्त करने को बढ़ावा देती है। यह बैंक ऋण तक पहुंच को आसान बनाती है, संपत्ति विवादों को कम करती है और बड़े स्तर पर योजना को बढ़ावा देती है। सच्चे ग्राम स्वराज की प्राप्ति की दिशा में यह पहल ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने और इसे आत्मनिर्भर बनाने में सहायक है।
आत्मनिर्भर भारत के इस दृष्टिकोण के एक प्रमाण के रूप में 27 दिसंबर 2024 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 46,351 गांवों में 57 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्डों के ई-वितरण करेंगे। श्री मोदी राष्ट्र को संबोधित करेंगे और देशभर के गणमान्य व्यक्तियों की वर्चुअल उपस्थिति में आयोजित एक समारोह के दौरान लाभार्थियों के साथ बातचीत करेंगे।
स्वामित्व की आवश्यकता
स्वामित्व की आवश्यकता भारत में ग्रामीण भूमि का सर्वेक्षण और बंदोबस्त हेतु दशकों से अधूरा रहा है। कई राज्य गांवों के आबादी (आबाद) क्षेत्रों का मानचित्रण या दस्तावेजीकरण करने में विफल रहे हैं। कानूनी रिकॉर्ड की कमी ने इन क्षेत्रों में संपत्ति के मालिकों को औपचारिक रिकॉर्ड के बिना छोड़ दिया, जिससे उन्हें अपने घरों को अपग्रेड करने या ऋण और अन्य वित्तीय सहायता के लिए वित्तीय संपत्ति के रूप में अपनी संपत्ति का उपयोग करने के लिए संस्थागत ऋण तक प्रभावी तरीके से पहुंचने से रोक दिया गया। इस तरह के दस्तावेजीकरण की अनुपस्थिति सात दशकों से अधिक समय तक बनी रही, जिससे ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति में बाधा उत्पन्न हुई। आर्थिक सशक्तीकरण के लिए कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त संपत्ति रिकॉर्ड के महत्व को समझते हुए एक आधुनिक समाधान आवश्यक था। नतीजतन, गांव के आबादी क्षेत्रों के सर्वेक्षण और मानचित्रण के लिए उन्नत ड्रोन तकनीक का लाभ उठाने के लिए स्वामित्व योजना की अवधारणा की गई। बहुत कम समय में पीएम स्वामित्व इस दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ।
स्वामित्व: उद्देश्य
ग्रामीण नियोजन और संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने के लिए सटीक आबादी क्षेत्र के भूमि रिकॉर्ड का निर्माण।
ग्रामीण भारत में नागरिकों को ऋण और अन्य वित्तीय लाभ पहुंचाने के लिए अपनी संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के रूप में उपयोग करने में सक्षम बनाकर वित्तीय स्थिरता लाना।
सटीक क्षेत्र के आधार पर संपत्ति का उचित मूल्यांकन करने से संपत्ति कर के निर्धारण के लिए राजस्व का अपना स्रोत बढ़ जाता है, जो सीधे उन राज्यों में ग्राम पंचायतों को जमा होगा जहां इसे हस्तांतरित किया गया है या अन्यथा, राज्य के खजाने में जोड़ा जाएगा।
सर्वेक्षण अवसंरचना और जीआईएस मानचित्रों का निर्माण, जिनका उपयोग किसी भी विभाग द्वारा उनके उपयोग के लिए किया जा सकता है।
जीआईएस मानचित्रों का उपयोग करके बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) की तैयारी में सहायता करना।
योजना की उपलब्धियां
देश के 10 राज्यों (छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख) के 46,351 गांवों में 57 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड का 27 दिसंबर 2024 से वितरण।
स्वामित्व योजना के अंतर्गत, गांवों में बसे ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिकाना हक वाले ग्रामीण परिवारों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करने और संपत्ति मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी करने के उद्देश्य से 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने इस योजना को शुरू किया है।
देश के 3.17 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।
केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप, लद्दाख, दिल्ली, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव तथा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।
अब तक लगभग 1.49 लाख गांवों के लिए 2.19 करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं।
हरियाणा, उत्तराखंड, पुडुचेरी, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा गोवा के सभी बसे हुए गांवों के संपत्ति कार्ड तैयार कर लिए गए हैं।
एक केंद्रीकृत ऑनलाइन निगरानी और रिपोर्टिंग डैशबोर्ड कार्यान्वयन प्रगति की वास्तविक समय ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है। डिजिलॉकर ऐप के माध्यम से लाभार्थियों को संपत्ति कार्ड आसानी से उपलब्ध हैं, जिससे वे अपने कार्ड को डिजिटल रूप से देख और डाउनलोड कर सकते हैं।
इस योजना में सर्वेक्षण-ग्रेड ड्रोनों को सतत प्रचालन संदर्भ प्रणाली (सीओआरएस) नेटवर्क के साथ जोड़ा गया है, जिससे उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्र शीघ्रता से और सटीक रूप से तैयार किए जा सकेंगे, जिससे ग्रामीण भूमि सीमांकन की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
प्रभाव के क्षेत्र
मात्रात्मक परिणामों से परे स्वामित्व ने देशभर में लोगों के जीवन पर काफी प्रभाव डाला है। प्रभाव के मुख्य क्षेत्रों में शामिल हैं:
समावेशी समाज: पूरे इतिहास में विद्वानों और विकास विशेषज्ञों के अनुसार इसका अर्थ संपत्ति के अधिकारों को गांवों में गरीबों, दलितों, वंचितों, पीडि़तों तक पहुंचाने से है। स्वामित्व योजना का लक्ष्य इसे सक्षम करना है।
भूमि प्रशासन: भूमि किसी भी आर्थिक गतिविधि का एक आवश्यक संसाधन है, जिसका उद्देश्य दुनिया में कहीं भी भौतिक सम्पदा का निर्माण करना है। स्पष्ट रूप से सीमांकित आबादी क्षेत्र के अभाव के कारण भूमि संघर्ष के मामले बड़ी संख्या में सामने आए हैं। भारत और दुनियाभर में लाखों लोग भूमि संघर्ष का सामना कर रहे हैं। स्वामित्व योजना का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर विवादों के मूल कारण को समझना है।
सतत आवास: उच्च-रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मानचित्र का निर्माण करना है।
बेहतर ग्राम पंचायत की विकास योजनाओं (जीपीडीपी) के लिए उच्च-रिजॉल्यूशन डिजिटल मानचित्र का निर्माण करना है, जिससे स्कूलों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, नदियों, स्ट्रीट लाइटों, सड़कों आदि जैसे बुनियादी ढांचों का सुधार होगा। इसके लिए धन का कुशलतापूर्वक आवंटन जरूरी है।
आर्थिक विकास: इसका मुख्य परिणाम लोगों की सम्पत्ति का मुद्रिकरण करने में मदद करना है। इसके अलावा यह उन राज्यों में संपत्ति कर को सुव्यवस्थित करके भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देता है, जहां यह लगाया जाता है जिससे निवेश में वृद्धि होती है और व्यापार करने में आसानी होती है।
सफलता की कहानियां
स्वामित्व योजना एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में सामने आई है, जो ग्रामीण शासन को नया आकार दे रही है और संपत्ति सत्यापन तथा भूमि प्रबंधन के लिए अपने अभिनव दृष्टिकोण के माध्यम से समुदायों को सशक्त बना रही है। ये उदाहरण ग्रामीण प्रगति को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में योजना की भूमिका को रेखांकित करते हैं।
महिला सशक्तिकरण: गुजरात की एक ग्रामीण महिला श्रीमती कोकिलाबेन बाबाजी वाघेला को उनका स्वामित्व संपत्ति कार्ड प्राप्त हुआ, जो उनके जीवन में मील का पत्थर साबित हुआ है। स्वामित्व योजना के तहत जारी किए गए संपत्ति कार्ड ने उन्हें उनकी पैतृक आवासीय भूमि का कानूनी स्वामित्व हासिल कराया, जिससे उन्हें ऋण लेने और अपने परिवार का भविष्य बेहतर बनाने का अधिकार और अवसर मिला।
वित्तीय समावेशन: बैंक अब स्वामित्व संपत्ति कार्ड को वैध संपार्श्विक के रूप में मान्यता दे रहे हैं। यह परिसंपत्ति मुद्रीकरण और संपत्ति गिरवी रखने के भी काम आ रहा है। यह संपत्ति मालिकों को ऋण सुरक्षित करने और वित्तीय सहायता और विकास के लिए अपनी भूमि का लाभ उठाने में सक्षम बनाता है। राजाराम गौड़ ने बैंक ऋण सुरक्षित करने के लिए स्वामित्व संपत्ति कार्ड का उपयोग किया, जिसका उपयोग उन्होंने अपने घर की मरम्मत करने और अपने बेटे के लिए मारुति सुजुकी एक्को खरीदने के लिए किया। यह आय परिवार के वित्त का समर्थन करते हुए और स्थानीय बच्चों के लिए शिक्षा तक पहुंच में सुधार करते हुए ऋण चुकाने में मदद करती है।
राजस्व का बढ़ा अपना स्रोत: स्वामित्व योजना से महाराष्ट्र के पुणे जिले की ग्राम पंचायत के एकहतपुर को बहुत फायदा हुआ। इस योजना के तहत घरेलू मालिकों को संपत्ति कार्ड प्राप्त हुए, जिससे उन्हें बहुत लाभ हुआ। इस योजना से संपत्ति विवाद कम हुए और भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड सुव्यवस्थित हो गए। इस पहल ने जीपी को गांव आबादी क्षेत्र के भीतर सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण की समस्या का समाधान करने और संपत्ति से संबंधित विवादों को हल करने में सक्षम बनाया है। परिणामस्वरूप, संपत्ति रजिस्टर में सूचीबद्ध संपत्तियों में 259 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस योजना ने खुले स्थानों की पहचान करने में भी मदद की है, जिससे सामुदायिक विकास के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद मिली है। डिजिटल मानचित्रों पर आधारित अद्यतन संपत्ति रजिस्टरों ने जीपी के स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) में सुधार किया है।
पंचायत योजना के लिए स्वामित्व मानचित्रों का लाभ उठाना: स्वामित्व योजना के साथ डिजिटलीकृत संपत्ति रिकॉर्ड, जीआईएस मानचित्र और उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा ने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर की कलौंदा ग्राम पंचायतों के लिए स्थानिक योजना को संभव बना दिया है। सटीक संपत्ति रिकॉर्ड ने विवादों को कम किया है और स्वामित्व को स्पष्ट किया है, जिससे विभिन्न गतिविधियों के लिए अधिकतम भूमि उपयोग सुनिश्चित हुआ है। जीआईएस मानचित्र और डेटा ने पंचायतों को सीमाओं का रेखांकन करने, भूमि उपयोग का विश्लेषण करने और सड़कों और जल आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे की कुशलता से योजना बनाने में सक्षम बनाया है।
स्वामित्व योजना ग्रामीण भारत की कहानी को नया आकार दे रही है। भूमि स्वामित्व की सदियों पुरानी चुनौतियों को विकास और सशक्तिकरण के अवसरों में बदल रही है। नवाचार को समावेशिता के साथ जोड़कर यह बाधाओं को खत्म कर रही है, विवादों को सुलझाती है और संपत्ति को आर्थिक प्रगति के लिए एक शक्तिशाली उपकरण में बदल देती है। हाई-टेक ड्रोन सर्वेक्षण से लेकर डिजिटल संपत्ति कार्ड तक यह योजना केवल नक्शे और सीमाओं के बारे में नहीं है। यह सपनों और संभावनाओं से भरा हुआ है। जैसे-जैसे गांव इस बदलाव को अपनाते हैं, स्वामित्व एक सरकारी पहल से कहीं अधिक अपनी तस्वीर पेश करता है। यह आत्मनिर्भरता, बेहतर योजना और एक मजबूत एकीकृत ग्रामीण भारत के लिए उत्प्रेरक का काम करती है।
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