ट्रेनों/मार्गों पर कवच की स्थापना: रेल मंत्रालय
नई-दिल्ली (PIB): कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है। कवच एक अत्यधिक प्रौद्योगिकी गहन प्रणाली है जिसके लिए उच्चतम क्रम (एसआईएल-4) के सुरक्षा प्रमाणन की आवश्यकता होती है।
- कवच लोको पायलट को निर्धारित गति सीमा के भीतर ट्रेन चलाने में सहायता करता है, यदि लोको पायलट ऐसा करने में विफल रहता है तो यह स्वचालित रूप से ब्रेक लगाता है और खराब मौसम के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद करता है।
- यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण फरवरी 2016 में शुरू किया गया था। प्राप्त अनुभव और स्वतंत्र सुरक्षा निर्धारक (आईएसए) द्वारा सिस्टम के स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर, कवच संस्करण 3.2 की आपूर्ति के लिए 2018-19 में तीन फर्मों को मंजूरी दी गई।
- कवच को जुलाई 2020 में राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली के रूप में अपनाया गया था।
- कवच प्रणाली के कार्यान्वयन में निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं:
- प्रत्येक स्टेशन, ब्लॉक सेक्शन पर स्टेशन कवच की स्थापना।
- पूरे ट्रैक में आरएफआईडी टैग की स्थापना।
- पूरे खंड में दूरसंचार टावरों की स्थापना।
- ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना।
- भारतीय रेलवे में चलने वाले प्रत्येक लोकोमोटिव पर लोको कवच का प्रावधान।
- दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 रूट किलोमीटर पर कवच संस्करण 3.2 की तैनाती के आधार पर काफी अनुभव प्राप्त हुआ। इसका उपयोग करके आगे सुधार किए गए। अंततः कवच स्पेसिफिकेशन संस्करण 4.0 को 16.07.2024 को आरडीएसओ द्वारा अनुमोदित किया गया।
- कवच संस्करण 4.0 में विविध रेलवे नेटवर्क के लिए आवश्यक सभी प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं। यह भारतीय रेलवे की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारतीय रेलवे ने अल्प अवधि में ही स्वचालित रेल सुरक्षा प्रणाली का विकास, परीक्षण और क्रियान्वयन शुरू कर दिया है।
- संस्करण 4.0 में प्रमुख सुधार में स्थान सटीकता में वृद्धि, बड़े यार्ड में सिग्नल पहलुओं की बेहतर जानकारी, ओएफसी पर स्टेशन से स्टेशन कवच इंटरफेस और मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के लिए सीधा इंटरफेस शामिल है। इन सुधारों के साथ कवच संस्करण 4.0 को भारतीय रेलवे पर बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना बनाई गई है।
- नवंबर 2024 तक भारतीय रेलवे पर कवच प्रणाली सहित प्रमुख मदों की प्रगति निम्नानुसार है: -
क्रम संख्या |
सामग्री |
प्रगति |
i |
ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना |
5133 Km |
ii |
दूरसंचार टावरों की स्थापना |
540 Nos. |
iii |
स्टेशनों पर कवच का प्रावधान |
523 Nos. |
iv |
लोको में कवच का प्रावधान |
707 Locos |
v |
ट्रैक साइड उपकरणों की स्थापना |
3434Rkm |
- कवच कार्यान्वयन का अगला चरण निम्नानुसार योजनाबद्ध है:-
- 10,000 लोकोमोटिव से लैस करने की परियोजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। कवच से लैस करने के लिए 69 लोको शेड तैयार किए गए हैं।
- लगभग 15000 आरकेएम के लिए कवच के ट्रैक साइड कार्यों के लिए बोलियाँ आमंत्रित की गई हैं। इसमें भारतीय रेलवे के सभी जीक्यू, जीडी, एचडीएन और चिन्हित खंड शामिल हैं।
- वर्तमान में कवच सिस्टम की आपूर्ति के लिए 3 ओईएम को मंजूरी दी गई है। क्षमता और कार्यान्वयन के पैमाने को बढ़ाने के लिए, अधिक ओईएम के परीक्षण और अनुमोदन विभिन्न चरणों में हैं।
- सभी संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय रेलवे के केंद्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों में कवच पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 9000 से अधिक तकनीशियनों, ऑपरेटरों और इंजीनियरों को कवच प्रौद्योगिकी पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। पाठ्यक्रम आईआरआईएसईटी के सहयोग से तैयार किए गए हैं।
- कवच के स्टेशन उपकरण सहित ट्रैक साइड के प्रावधान की लागत लगभग 50 लाख रुपये/किमी है और लोकोमोटिव पर कवच उपकरण के प्रावधान की लागत लगभग 80 लाख रुपये/लोको है।
- कवच कार्यों पर अब तक उपयोग की गई धनराशि 1547 करोड़ रुपये है। वर्ष 2024-25 के दौरान धनराशि का आवंटन 1112.57 करोड़ रुपये है। कार्यों की प्रगति के अनुसार अपेक्षित धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
यह जानकारी केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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